डीजीपी पैनल लंबा-चौड़ा हुआ
डीजीपी अशोक जुनेजा के एक्सटेंशन की अवधि फरवरी के पहले हफ्ते में खत्म हो रही है। सरकार ने नए डीजीपी के चयन के लिए पहले तीन नामों का पैनल केंद्र को भेजा था। मगर केन्द्र ने पैनल को लौटा दिया है। यह साफ किया है कि जिन एडीजी स्तर के अफसरों की सेवा अवधि 30 साल हो चुकी है, उन सभी के नाम भेजे जाए।
कहा जा रहा है कि पहले पवन देव, अरूणदेव गौतम, और हिमांशु गुप्ता के नाम का पैनल भेजा गया था। अब एसआरपी कल्लूरी, और जीपी सिंह का नाम भी जोड़ा गया है। इन दोनों अफसरों की कुल सेवा अवधि भी 30 साल से अधिक हो चुकी है।
जीपी सिंह को पहले जबरिया रिटायर किया गया था, अब उनकी सेवा में वापसी हो चुकी है। उनके खिलाफ दर्ज सारे अपराधिक प्रकरण निरस्त हो गए हैं। लिहाजा, वो भी अब कन्सिडरैशन जोन में आ गए हैं। केन्द्र सरकार अब आगे क्या करती है यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा।
अब सब टूट पड़े हैं
बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर पर शिकंजा कस रहा है। पुलिस तो आरोपी को जल्द से जल्द सजा दिलाने के लिए साक्ष्य जुटाने की कोशिश कर रही है। बाकी विभागों ने भी सुरेश चंद्राकर के प्रतिष्ठान पर नजर जमाए हुए हैं। जीएसटी विभाग ने सुरेश चंद्राकर के प्रतिष्ठान में दबिश दी, और करीब 2 करोड़ से अधिक अपात्र इनपुट टैक्स क्रेडिट का दावा किया है। इसकी जांच चल रही है। यही नहीं, सुरेश चंद्राकर ने करीब 15 एकड़ वन भूमि पर कब्जा किया हुआ है। गृहमंत्री विजय शर्मा ने वन अफसरों को तत्काल इस पर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया है। चंद्राकर के सडक़ निर्माण कार्यों की पहले ही जांच के आदेश दे दिए गए हैं। अब आरोपियों के खिलाफ जांच पूरी कर पुलिस कब तक चालान पेश करती है, यह देखना है।
धान खरीदी में व्यवधान
अपने वादे के अनुरूप सरकार 21 क्विंटल धान की खरीदी तो कर रही है लेकिन रफ्तार धीमी है। इस बार राइस मिलरों ने बकाया भुगतान व मिलिंग की राशि बढ़ाने की मांग पर उठाव में देरी की। इसके चलते प्रदेश के कई स्थानों में किसानों का धान जाम है। उन्हें मिलने वाला टोकन सीमित दिनों के लिए होता है, यदि उस अवधि में नहीं बेच पाए तो नया टोकन जारी किया जाता है। तब तक सोसाइटियों में किसानों को अपने धान की रखवाली करनी पड़ती है। छत्तीसगढ़ के विभिन्न स्थानों से आई खबरों को समेटे तो मालूम होता है कि राजनांदगांव जि़ले में 96 खरीदी केंद्रों में से 90 समितियों में धान खरीदी बंद कर दी गई थी। दुर्ग जि़ले में सहकारी समिति कर्मचारियों ने 23 दिसंबर से खरीदी बंद करने की चेतावनी दी थी। कवर्धा जि़ले में 108 समितियों में से 90 समितियों में धान खरीदी बंद कर दी गई थी। बेमेतरा जि़ले में सेवा सहकारी समिति बोरतरा में धान का उठाव नहीं होने से खरीदी बंद कर दी गई थी। ऐसे समाचार प्रदेश के कई जिलों से मिल रहे हैं। भानुप्रतापपुर के किसानों ने सोमवार को चक्काजाम ही कर दिया। उन्हें बार-बार टोकन दिया जाता है लेकिन धान का उठाव धीमा होने की वजह से समितियों में जगह नहीं बची है। कस्टम मिलिंग व परिवहन की गति धीमी है। अब यह देखना होगा कि निर्धारित 31 जनवरी तक सारे किसान अपना धान बेच पाते हैं या नहीं। कई स्थानों पर किसानों की ओर से 15 दिन आगे, 15 फरवरी तक खरीदी करने की मांग उठ चुकी है। दिलचस्प यह है कि प्रतिपक्ष कांग्रेस का इस मामले में मीडिया पर बयान तो आ रहा है लेकिन सडक़ पर उतरकर आंदोलन प्रभावित किसान ही कर रहे हैं।
चुनावी वायदों की चिंता
कई बार वोट हासिल करने के लिए चुनाव के दौरान जो वादे किए जाते हैं, उसके पूरा होने का इंतजार पांच साल अगले चुनाव के आने तक करना पड़ता है। मगर, एक जगह किया गया वादा, दूसरी प्रदेश में दोहराना पड़े तो यह इंतजार जरूरी नहीं कि लंबा हो। दिल्ली में विधानसभा चुनाव की सरगर्मी बढ़ी हुई है। आम आदमी पार्टी व कांग्रेस में एक साथ चुनाव लडऩे की सहमति नहीं बनी है। वहां कई सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना है। कांग्रेस किसानों को डायरेक्ट बेनिफिट देने का वादा कर सकती है। जब यह वादा किया जाएगा तो तेलंगाना मं किया गया वायदा याद दिलाया जाएगा। वहां कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव के पहले किसानों को 15 हजार रुपये सालाना देने की घोषणा की थी लेकिन सालभर से अधिक हो गए, घोषणा लागू नहीं की गई। अब जब चुनाव का वक्त आ गया है, तेलंगाना के सीएम ने इस स्कीम को लागू करने का ऐलान कर दिया है। हो सकता है कि दिल्ली चुनाव के पहले, इसकी पहली किस्त भी जारी कर दिया जाए। इस पर तेलंगाना के सीएम पर कटाक्ष करते हुए कई पोस्टर एआईसीसी दफ्तर के सामने चिपकाए गए हैं, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने यू टर्न ले लिया है। दिल्ली चुनाव को देखते हुए वे तेलंगाना में किए गए चुनावी वायदों को लागू करने जा रहे हैं।