आठवां वेतन आयोग फरवरी में
केंद्र के साथ साथ देश भर के राज्य कर्मियों के लिए फिलहाल अच्छी खबर कही जा सकती है। केंद्रीय कैबिनेट सेक्रेटरी ने नया आठवां वेतन आयोग गठित करने के संकेत दिए हैं। यह भी संभावना है कि एक फरवरी को बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसकी घोषणा कर सकती हैं। फरवरी 2014 को गठित सातवें वेतन आयोग का दस वर्ष का दायरा खत्म होने में अभी एक वर्ष (जनवरी-26) शेष है। केंद्रीय कर्मचारी संगठन नए आयोग के समय पर गठन और समय पर लागू करवाने को लेकर दबाव बनाना शुरू कर दिया है।
इसी सिलसिले में इनके नेता पिछले दिनों केंद्रीय कैबिनेट सेक्रेटरी टीवीएस (टीवी सोमनाथन) से मुलाकात की थी। इस चर्चा के दौरान कार्मिक नेताओं की मांग पर कैबिनेट सेक्रेटरी के संकेत से सबकी बाँछें खिल गई हैं। उन्होंने कहा कि 2026 बहुत दूर (टू-फार) है,उससे पहले अगले वर्ष क्यों नहीं? इसके बाद से केंद्रीय संगठनों में हलचल बढ़ गई है कि आठवां वेतन आयोग आम बजट के आसपास गठित कर दिया जाएगा। राज्यों में पृथक से वेतन आयोग गठन की व्यवस्था दशकों पहले ही खत्म हो गई थी। इसलिए राज्य सरकारें भी थोड़ी कमी बेसी के साथ केंद्रीय आयोग की सिफारिशों को लागू करती है । सो राज्य के कर्मचारी अधिकारी भी इसके इंतजार में रहते हैं। उन्हें भी उम्मीद है कि पिछले दो वेतन आयोग की वेतन विसंगतियां, अब आठवें आयोग में दूर की जाएंगी।
कहा जाता है कि जब महंगाई भत्ता 50 फीसदी से पार हो जाए तो नए वेतन आयोग के गठन कर दिया जाना चाहिए। लेकिन सरकार को बिना मांग, आंदोलन के कोई काम नहीं करती। वैसे मोदी 2.0 के अपने अंतिम बजट में नए वेतन आयोग से तौबा करने के संकेत दिए थे। अब कैबिनेट सेक्रेटरी का यह कहना, उम्मीद की जानी चाहिए कि फरवरी में नया वेतन आयोग गठित कर दिया जाएगा।
डिनर और वोट का रिश्ता नहीं
रायपुर दक्षिण के चुनाव परिणाम की कांग्रेस, और भाजपा के नेता समीक्षा कर रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी आकाश शर्मा की बुरी हार चौंका भी रही है। कांग्रेस से जुड़े लोग मानते हैं कि जहां अच्छी लीड मिलने का भरोसा था वहां बुरी तरह पिछड़ गए। मसलन, कांग्रेस के प्रमुख नेताओं ने लाखे नगर इलाके में समाज विशेष के लोगों के लिए मतदान से दो दिन पहले रात्रि भोज रखा था।
बताते हैं कि रात्रि भोज में करीब 5 सौ लोग थे। सभी कारोबार जगत के लोग थे। सबने कांग्रेस को समर्थन देने का वादा किया था, मगर नतीजे आए, तो ठीक इसका उल्टा हुआ। वहां कांग्रेस प्रत्याशी को 122 वोट ही मिले। यानी साफ था कि जितने लोग रात्रि भोज में थे उसका आधा वोट भी कांग्रेस प्रत्याशी को नहीं मिला। मतदान के बाद भाजपा के रणनीतिकारों ने करीब 15 हजार वोटों से जीत का आकलन किया था। लेकिन सुनील सोनी की जीत रायपुर शहर की बाकी तीनों सीटों के भाजपा विधायकों की जीत से बड़ी हो गई। ऐसे में उनके मंत्री बनने को लेकर अटकलें लगाई जा रही है। देखना है आगे क्या होता है।
इन दुर्घटनाओं से कोई सबक?
छत्तीसगढ़ में सडक़ सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। हाल ही में कृषि मंत्री रामविचार नेताम और महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े सडक़ दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल हो गए। यह राहत की बात है कि दोनों की जान बच गई, परंतु इन घटनाओं ने प्रदेश में यातायात सुरक्षा की बदतर हालत को फिर उजागर कर दिया।
मंत्रियों के काफिले में पायलट गाडिय़ां रहती हैं और वे अपेक्षाकृत सुरक्षित यात्रा करते हैं। इसके बावजूद वे हादसे का शिकार हुए। ऐसे में सामान्य नागरिकों की सुरक्षा कैसी है, सोचा जा सकता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष सितंबर तक प्रदेश में 11,000 से अधिक सडक़ दुर्घटनाएं हुईं, जिनमें 4,900 से अधिक लोगों की मौत हुई। रायपुर जैसे प्रमुख जिले में प्रतिदिन औसतन 40 दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें 17 लोग अपनी जान गंवाते हैं।
इन हादसों में 70 फीसदी से अधिक मौतें दोपहिया वाहन चालकों की हुई हैं। लेकिन यह कहना गलत होगा कि हर बार गलती दोपहिया चालकों की ही होती है। तेज रफ्तार, भारी वाहनों की ओवरलोडिंग और लापरवाही भी इन मौतों के प्रमुख कारण हैं। हाईवे पर हेलमेट पहनने को सख्ती से लागू करने के लिए पुलिस अभियान चला सकती है, परंतु यह अभियान अक्सर सरकारी निर्देशों पर चलता है, जो कुछ दिन के उत्सव की तरह चलकर बंद हो जाता है।
तीन दिनों में दो मंत्रियों के हादसों के बावजूद सडक़ सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार अधिकारियों और सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। यह उदासीनता बताती है कि आम नागरिकों की सुरक्षा की सुध लेना संबंधित अफसरों की प्राथमिकताओं में शामिल नहीं है।
सैर-सपाटे का एक नया ठिकाना
प्रदेश में एक नया पर्यटन स्थल विकसित हुआ है। यह है जांजगीर-चांपा जिले का कुदरी बैराज। इसी महीने यहां नौका विहार और बोटिंग की सुविधा शुरू की गई है। यहां कैफेटेरिया और स्पोर्ट्स जोन भी तैयार किया गया है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर है। हॉली डे के अलावा बाकी दिनों में लोग क्वालिटी टाइम बिताने के लिए यहां पहुंच रहे हैं। गांव के ही युवकों ने इसकी व्यवस्था संभाल रखी है। ([email protected])