रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 3 मई। 58 फीसदी आरक्षण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की रियायत के बाद प्रमोशन और नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी आयेगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्देश में इस बात का उल्लेख भी किया है कि राज्य सरकार को प्रमोशन और नयी नियुक्तियों की इजाजत दी जाती है, हालांकि ये सभी प्रक्रिया इस याचिका के अंतिम फैसले के अधीन रहेगी।
कल दोपहर को आये फैसले के बाद देर शाम खुद ही मुख्यमंत्री ने चीफ सिकरेट्री, डीजीपी, पीएससी चेयरमैन के साथ बैठक की थी और नियुक्ति प्रक्रिया को तेज करने को कहा था। कोर्ट इस मामले में जुलाई में फिर सुनवाई करेगा। दरअसल, इससे पहले 2022 में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भूपेश बघेल सरकार के आरक्षण का दायरा बढ़ाकर 58त्न करने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी थी, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को पलट दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता ने आरक्षण का पक्ष रखते हुए कहा कि जिस वक्त हाईकोर्ट ने 58 प्रतिशत आरक्षण को रद्द किया, उस वक्त कई नियुक्ति प्रक्रिया चल रही थी, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बाद सारी प्रक्रिया ठप हो गयी। आरक्षण रद्द होने की वजह से प्रदेश में कर्मचारियों और अधिकारियों की कमी हो सकती है। क्योंकि हाईकोर्ट के फैसले के पूर्व कई विज्ञापन जारी हो चुके थे और कई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी।
कोर्ट में अधिवक्ता पूजा धर ने अंतरिम राहत के निर्देश को लेकर एतराज जताया, उन्होंने आरक्षण पर फौरी राहत दिये जाने का विरोध किया।


