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ट्रेन विस्फोट मामला: आईएम के सह-संस्थापक का जिम्मेदारी का दावा सबूतों के अभाव में खारिज
22-Jul-2025 9:56 AM
ट्रेन विस्फोट मामला: आईएम के सह-संस्थापक का जिम्मेदारी का दावा सबूतों के अभाव में खारिज

मुंबई, 21 जुलाई। मुंबई में 11 जुलाई 2006 को ट्रेन विस्फोट मामले में 12 आरोपियों को बरी किए जाने से जांच की विश्वसनीयता पर फिर से सवाल उठने लगे हैं, क्योंकि मुंबई उच्च न्यायालय ने सिमी और लश्कर-ए-तैयबा की संलिप्तता वाली एटीएस की कहानी को सिरे से खारिज कर दिया है।

मुंबई में लोकल ट्रेन में 11 जुलाई 2006 को विभिन्न स्थानों पर सात विस्फोट हुए, जिनमें 180 से अधिक लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि अपराध शाखा ने सितंबर 2008 में घरेलू आतंकवादी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन (आईएम) के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था और इसके संदिग्ध 'थिंक टैंक' सादिक शेख को गिरफ्तार किया था, जो कथित तौर पर आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भारत से बाहर गया था।

अधिकारी ने बताया कि शेख ने शुरू में विस्फोट मामले में अपनी संलिप्तता स्वीकार की थी, जिसके बाद उसे आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) को सौंप दिया गया।

एटीएस ने शेख से पूछताछ की, लेकिन बम विस्फोटों की साजिश में उसकी भूमिका साबित नहीं हो सकी।

जांच में शामिल एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि शेख ने एटीएस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से संदेह हटाने के लिए जानबूझकर विस्फोटों की जिम्मेदारी स्वीकार की होगी।

अधिकारी ने बताया, "शेख का बयान मकोका के तहत पुलिस उपायुक्त के समक्ष दर्ज किया गया था। हालांकि, अपने सहयोगियों के साथ विस्फोट में शामिल होने का उसका दावा साबित नहीं हुआ, जिसके बाद एटीएस ने उसे वापस मुंबई अपराध शाखा को सौंप दिया।" उन्होंने बताया कि उस समय शेख को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

साल 2013 में बचाव पक्ष के वकीलों ने शेख को ट्रेन विस्फोट मामले में एक पक्षद्रोही गवाह घोषित कर दिया था, क्योंकि उसने मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए गए अपने इकबालिया बयान को वापस ले लिया था।

शेख, आरिफ बदरुद्दीन और अंसार अहमद को 2008 में भारत में हुए विभिन्न विस्फोटों में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था।

एटीएस ने मुंबई ट्रेन धमाकों के सिलसिले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया और आरोपपत्र दाखिल किया। इन 12 दोषियों में से पांच को 2015 में विशेष अदालत ने मौत की सज़ा और सात को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी। मौत की सज़ा पाए एक दोषी की 2021 में मौत हो गई।

मुंबई उच्च न्यायालय ने 11 जुलाई 2006 को मुंबई में कई ट्रेन में किए गए सात बम धमाकों के मामले में सोमवार को सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है तथा यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है।

यह फैसला शहर के पश्चिमी रेलवे नेटवर्क को हिला देने वाले आतंकवादी हमले के 19 साल बाद आया है। इस हमले में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे।

उच्च न्यायालय का फैसला महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी लेकर आया है, जिसने दावा किया था कि अभियुक्त प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे और उन्होंने आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के पाकिस्तानी सदस्यों के साथ मिलकर साजिश रची थी।

उच्च न्यायालय ने अभियुक्तों के सभी इकबालिया बयानों को अस्वीकार्य घोषित कर दिया।

विशेष पीठ ने इकबालिया बयानों की विश्वसनीयता को और कम करते हुए कहा कि आरोपियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि इन बयानों को देने के लिए उन पर अत्याचार किया गया था। (भाषा)


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