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राशि दृष्टिबाधित बच्चों के स्कूल को देने के निर्देश
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 20 जुलाई। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक दवा कंपनी को उसकी याचिका वापस लेने की इजाजत तो दे दी, लेकिन कोर्ट का समय बर्बाद करने पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी ठोका। यह राशि जशपुर के सरकारी दृष्टिबाधित बालक-बालिका विद्यालय को देने के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी ने बार-बार एक ही तरह की याचिका दाखिल कर अदालत का कीमती वक्त बर्बाद किया है। कोर्ट ने इसे न्यायिक प्रक्रिया के दुरुपयोग की श्रेणी में माना।
दरअसल, हेपरिन सोडियम इंजेक्शन बनाने वाली इस कंपनी को छत्तीसगढ़ सरकार ने 16 जून 2025 को तीन साल के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था। इसी फैसले के खिलाफ कंपनी ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी, जिसमें ब्लैकलिस्टिंग आदेश को रद्द करने और आगे सरकारी टेंडरों में हिस्सा लेने की अनुमति देने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से बताया गया कि कंपनी की यह याचिका पहले भी एक बार खारिज हो चुकी है। अब उसी पुराने आधार पर सिर्फ प्रार्थना बदलकर दोबारा वही बात कोर्ट के सामने रख दी गई है। इस पर कोर्ट ने नाराजगी जताई और इसे गंभीर लापरवाही माना।
कोर्ट ने कहा कि बार-बार बेबुनियाद याचिका दाखिल कर न्यायालय का समय खराब करना माफ नहीं किया जा सकता। इसलिए याचिका को वापस लेने की अनुमति तो दी जाती है, लेकिन 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाता है, जिसे जशपुर के दृष्टिबाधित बच्चों के स्कूल को दिया जाएगा।