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शराब घोटाले की आय के वास्तविक स्रोत को चैतन्य छिपाते रहे...
19-Jul-2025 7:32 PM
शराब घोटाले की आय के वास्तविक स्रोत को चैतन्य छिपाते रहे...

बहस के दौरान ईडी ने किए कई खुलासे
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई।
शराब घोटाला केस में पूर्व सीएम भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी, और फिर रिमांड पर विशेष अदालत में बहस के दौरान ईडी ने कई खुलासे किए हैं। जांच एजेंसी ने दावा किया है कि चैतन्य बघेल ने शराब घोटाले की आय के वास्तविक स्रोत को अपनी परियोजना में शामिल करके छुपाया था ताकि उसे बेदाग दिखाया जा सके। जांच एजेंसी ने यह भी कहा कि चैतन्य बघेल या तो प्रश्नों से बचकर, या भ्रामक और टालमटोल उत्तर देकर जानबूझकर असहयोग का रवैया अपनाया है। 

विशेष अदालत में बहस के दौरान ईडी के विशेष लोक अभियोजक डॉ.सौरभ कुमार पांडेय ने कहा कि चैतन्य बघेल जानबूझकर असहयोग की ऐसी कार्यवाही से, उन तथ्यों या सूचनाओं का खुलासा न करके जांच में बाधा डाल रहे थे जो कि उनके विशेष संज्ञान में है। ऐसे में जांच को तार्किक निष्कर्ष पर ले जाने के लिए पीएमएलए-2002 की धारा 19 के प्रावधान को लागू करने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं बचा है। 

यह भी बताया गया कि जांच में चैतन्य बघेल की कंपनी मेसर्स बघेल डेव्लपर्स की वि_ल ग्रीन परियोजना के निर्माण में नगदी (शराब घोटाले) के उपयोग का पता चला है। यह भी बताया कि चैतन्य बघेल से संबंधित फर्मों के अकाऊंटेंट के परिसरों की तलाशी ली, और इन फर्मों से संबंधित रिकॉर्ड जब्त किए गए। इसमें परियोजना सलाहकार मेसर्स अवम कंस्लटेंट के राजेन्द्र जैन से भी पूछताछ की गई। उन्होंने भी खुलासा किया कि परियोजना की कुल लागत को पुस्तकों में कम करके दिखाया गया है। उन्होंने बताया कि वास्तविक लागत 13 से 15 करोड़ होगी। 

जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि जब्त डिजिटल उपकरणों के विश्लेषण से यह भी स्थापित होता है कि निर्माण कंपनी को मेसर्स बघेल डेव्पलर्स के विकास स्थल पर उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए कम से कम चार करोड़ बीस लाख रूपए का नगद भुगतान किया गया। यह आंकड़ा बढऩे की संभावना है क्योंकि कुल भुगतान दो करोड़ बैसठ लाख रूपए है जबकि कुल परियोजना की लागत 13 से 15 करोड़ रूपए है। 

जांच एजेंसी ने यह भी बताया कि कारोबारी त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने अपने कर्मचारियों के नाम पर फ्लैट की खरीदी की, और मेसर्स बघेल डेव्लपर्स को पांच करोड़ का भुगतान किया। इस तरह मेसर्स बघेल डेव्लपर्स की परियोजना से 19 फ्लैट खरीदे गए। यह लेन-देन ढिल्लो के कर्मचारियों के नाम पर किया गया जिनके बयान लिए गए हैं। 

जांच निष्कर्षों के आधार पर यह बताया गया कि चैतन्य बघेल को 16 करोड़ 70 लाख रूपए अपराध की आय प्राप्त हुई, और एक हजार करोड़ से अधिक की लेन-देन में अहम भूमिका निभाई है। कोर्ट ने पांच दिन की रिमांड मंजूर की है। चैतन्य बघेल को 22 जुलाई को फिर पेश किया जाएगा। 


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