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'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई । छत्तीसगढ़ बैंक एम्प्लॉईज एसोसिएशन के महासचिवशिरीष नलगुंडवार ने बैंक राष्ट्रीयकरण की 56वी वर्षगांठ पर सभी बैंक अधिकारी कर्मचारियों को बधाई देते हुए कहा कि एआईबीईए के संघर्ष के चलते बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट की धारा 45 में बदलाव हुआ। इसी संशोधन की बदौलत भारतीय रिजर्व बैंक को यह अधिकार मिला कि वह किसी भी डूबते हुए बैंक का दूसरे बैंक में विलय कर सके, ताकि आम जनता की जमा पूंजी भी सुरक्षित रहे और बैंक कर्मचारियों की नौकरियां भी बच सकें।
आज भी हमारी जिम्मेदारी है कि हम इन सार्वजनिक बैंकों की रक्षा करें, उन्हें मजबूत करें। निजीकरण जैसी नीतियों से दूर रखें।
नलगुंडवार ने बताया कि आज बैंकों में बढ़ते खराब कर्ज एनपीए निजी कंपनियां जिम्मेदार हैं।पिछले दो दशकों में यह देखा गया है कि जिन निजी कॉरपोरेट कंपनियों को भारी मात्रा में ऋण दिए गए, वे ही उस कर्ज को नहीं लौटा पाईं। नतीजा यह हुआ कि बैंक भारी "एनपीए"के बोझ तले दबते गए।
यह कहा जाता है कि निजी क्षेत्र सार्वजनिक क्षेत्र से ज़्यादा कुशल होता है, तो फिर इतने सारे बड़े खराब कर्ज सिर्फ निजी कंपनियों की वजह से ही क्यों हैं?
हर साल खराब कर्ज में बढ़ोतरी होती गई है। पिछले 5 वर्षों में एनपीए की मात्रा इसलिए कम दिख रही है क्योंकि बैंकों ने भारी मात्रा कर्जों को " राइट ऑफ" कर दिया और उनके लिए पहले से प्रावधान कर दिया गया।बैंकों से भारी-भरकम कर्ज लेने वाली कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बजाय उन भारी रियायतें दी गई। इससे बैंकों को बड़ा घाटा हो रहा है।
बैंक सालाना हजारों करोड़ का मुनाफा कमाते हैं, लेकिन इसका बड़ा हिस्सा एनपीए की भरपाई और प्रावधानों में चला जाता है।
बैंक असल में जनता की गाढ़ी कमाई को संभालने का काम करते हैं। यही पैसा विकास, किसानों, छोटे उद्योगों, शिक्षा और इलाज जैसी चीजों के लिए होना चाहिए। लेकिन आज वही पैसा बड़े-बड़े कॉरपोरेट घरानों को बचाने और उनकी चांदी करने में इस्तेमाल हो रहा है।
यह क्रोनी कैपिटलिज्म (साठगांठ वाला पूंजीवाद) का खुला खेल है, और ये सब होता है बैंकों को कमजोर करके।
शिरीष ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक देश के निर्माण की नींव हैं। उन्हें सुरक्षित रखना, मजबूत करना और निजीकरण के हर प्रयास को रोकना हम सभी बैंक कर्मचारियों और देश के नागरिकों की साझा जिम्मेदारी है।
हमें जनता में लगातार जागरूकता फैलाते रहना होगा ताकि वे समझें कि बैंक उनका है, और इसे बचाना भी उनका कर्तव्य है।