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दादाबाड़ी में बच्चों के लिए विशेष रविवारीय शिविर
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 19 जुलाई । दादाबाड़ी में आत्मोत्थान चातुर्मास 2025 के अंतर्गत चल रहे प्रवचन में शनिवार को साध्वी हंसकीर्ति धर्मरत्न प्रकरण ग्रंथ का पठन किया रही हैं।
उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति के सामने पाप करने का अवसर आता है, तो उसका मन बड़ी सहजता और तत्परता से उसकी ओर आकर्षित हो जाता है। पाप में एक तात्कालिक सुख की झलक होती है, जो मन को भटकाने में बहुत सक्षम होती है। लेकिन जब धर्म का, पुण्य का, या आत्मकल्याण का समय आता है, तब वही मन अस्थिर हो जाता है, उसे एक जगह टिकने में कठिनाई होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि धर्म का मार्ग कठिनाइयों से भरा होता है और मनुष्य वर्तमान सुख की लालसा में इतना लिप्त होता है कि वह भविष्य की भलाई या आत्मिक उन्नति की ओर ध्यान नहीं दे पाते।यदि आपने गलत मार्ग से, अन्याय और अनीति के द्वारा पैसा कमाया है, तो हो सकता है कि वह धन आपके परिवार को सारे ऐशो-आराम और भौतिक सुख दे दे। आपका परिवार उस धन से विलासिता से जीवन व्यतीत करेगा, हर सुविधा का लाभ उठाएगा। लेकिन आपको यह नहीं भूलना चाहिए कि उस धन से जुड़े पापों का फल अंततः आपको ही भुगतना पड़ेगा। उस अनैतिक धन के पीछे जो अधर्म छिपा है, उसका भुगतान न कोई और करेगा और न ही कोई बचा सकेगा दृ उसका हिसाब आपको ही देना पड़ेगा।
बच्चों के लिए विशेष रविवारीय शिविर आज
बच्चों का रविवारीय शिविर सुबह 10.30 से 11.30 तक आयोजित होगा ।जिसमें मार्गानुसारी जीवन पर आधारित जीवन जीने की कला विषय पर क्लास ली जाएगी। पंकज कांकरिया ने बताया कि क्लास के बाद प्रश्नोत्तरी व स्वल्पाहार की व्यवस्था समिति की ओर से होगी।