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जैविक संतान है या नहीं, इसका फैसला बाद में होगा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 20 मई। जन्म के दो दशक बाद एक युवती ने अपने कथित पिता से भरण-पोषण की मांग करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। युवती ने याचिका में कहा कि उसकी मां को शादी के कुछ साल बाद ससुराल से निकाल दिया गया था और अब उसके पास आय का कोई साधन नहीं है। वहीं, पिता ने दावा किया कि युवती उनकी जैविक संतान नहीं है।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति रजनी दुबे और न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की युगलपीठ ने की। कोर्ट ने कहा कि छात्रा पिता की संतान है या नहीं, इसका निर्णय बाद में होगा। फिलहाल, युवती को दो हजार रुपये प्रतिमाह अंतरिम भरण-पोषण देने का आदेश दिया जाता है। साथ ही ट्रायल कोर्ट को निर्देश दिया गया है कि यह मामला छह माह के भीतर निपटाया जाए। यदि निर्धारित समय में निर्णय नहीं होता और देरी के लिए अपीलकर्ता जिम्मेदार नहीं पाई जाती, तो अंतरिम भरण-पोषण की राशि पर पुनर्विचार किया जाएगा।
कबीरधाम की रहने वाली 22 वर्षीय बीकॉम छात्रा ने अदालत में बताया कि उसकी मां की शादी 18 अप्रैल 1999 को हुई थी और वह खुद 16 नवंबर 2002 को जन्मी। शादी के तीन साल बाद पिता ने उसकी मां को घर से निकाल दिया, तब से वे अपने मायके में रह रही हैं। मां की कोई आय नहीं है और बेटी की पढ़ाई, भोजन, कपड़े और स्टेशनरी के खर्च उठा पाना कठिन हो गया है। इसी कारण, भरण-पोषण की मांग की गई।
फरवरी 2025 में पारिवार न्यायालय ने छात्रा की याचिका स्वीकार करते हुए अंतरिम रूप से हर महीने दो हजार रुपये देने का आदेश दिया था। पिता ने इस आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी। उन्होंने कहा कि पारिवारिक न्यायालय का आदेश अवैध, तथ्यों के प्रतिकूल और त्रुटिपूर्ण है।
अपील में पिता ने तर्क दिया कि युवती उनकी जैविक संतान नहीं है, क्योंकि उनकी पत्नी के किसी अन्य पुरुष से अवैध संबंध थे। इसलिए वे भरण-पोषण देने के लिए बाध्य नहीं हैं। साथ ही यह भी कहा गया कि 22 साल बाद उसे भरण-पोषण देने कहा जा रहा है, जो अनुचित है।
कोर्ट ने दस्तावेज और मौखिक गवाही का अवलोकन करते हुए पाया कि विवाह 18 अप्रैल 1999 को हुआ था और पत्नी 22 मार्च 2002 को ससुराल छोड़कर चली गई थी। छात्रा का जन्म 16 नवंबर 2002 को हुआ, यानी पत्नी के घर छोड़ने के नौ माह के भीतर। कोर्ट ने कहा कि जैविक संबंध का निर्णय आगे होगा, लेकिन अंतरिम भरण-पोषण के लिए प्राथमिक रूप से संबंध और आय की स्थिति को देखा जाता है, इसलिए फिलहाल राहत दी जा रही है।