जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 29 जुलाईं। सहकारी समितियों के कर्मियों के हड़ताल पर चले जाने से किसानों की मुश्किलें बढ़ गई है। ऐन समय में सहकारी समितियों के हड़ताल पर चले जाने से किसानों को सही समय पर यूरिया नहीं मिलने से अधिक नुकसान की आशंका है।
पांच सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल कर रहे समितियों के कर्मचारियों का कहना है कि हम लोग शासन के कई महत्वपूर्ण योजनाएं जैसे धान खरीदी, खाद वितरण, केसीसी, फसल बीमा जैसे कई अन्य कार्य को कुशलता पूर्वक निर्वाहन करते आ रहे हंै, फिर भी शासन द्वारा हमें लगातार नजर अंदाज कर रही है।
सहकारी समितियों के हड़ताल पर चले जाने से किसानों का फसल बीमा का काम रूक गया है। साथ ही गोधन न्याय योजना के अन्तर्गत वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री पर भी ग्रहण लग गया है। हड़ताल से शासन की कई महत्वपूर्ण योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
जिले के प्रबंध कारिणी के अध्यक्ष गोविंद यादव ने बताया कि पिछले 24 जुलाई से प्रांतीय संगठन के आहवान पर राज्य के सभी सहकारी समितियों पांच सूत्रीय मांग को लेकर अनिश्चित कालीन हड़ताल पर हंै। जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होती, हड़ताल जारी रहेगी।
ये है मुख्य मांगें-धान खरीदी में देरी से उठाव में आ रही सुखत एवं अतिरिक्त खर्चो की राशि समितियों को वापस की जाए। समितियां में कार्यरत कर्मचारियों को सातवां वेतन लागू हो। सेवा नियम 2018 के अनुसार प्रबंधक की भर्ती 50 प्रतिशत स्थान पर 100 प्रतिशत समिति के संस्था प्रबंधकों क्रेडर प्रबंधक पद पर संविलियन करते हुए बैंक के अन्य रिक्त पदों पर समिति के अन्य कर्मचारियों को संविलियन के माध्यम से भर्ती किया जाए।