बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 7 मई। कसडोल तहसील क्षेत्र में इस साल रबी फसल धान की व्यापक स्तर पर खेती हुई है। किसानों को अच्छी फसल से आर्थिक लाभ की उम्मीद बंधी थी, किन्तु एक साथ आंधी तूफान बारिश के साथ तेज ओला वृष्टि ने मनसूबों पर पानी फेर दिया है। फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। प्रभावित किसानों के चेहरों पर मायूसी साफ झलकने लगी है।
75 फीसदी धान की फसल बर्बाद
प्राकृतिक आपदा से राजादेवरी क्षेत्र की फसल ही बुरी तरह प्रभावित है। पूर्वी जोंक के ग्राम बिलारी के ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष युधिष्ठिर नायक ने बताया कि बिलारी कुरमाझर बानिखार नगेड़ी नगेडा नगरदा थरगांव कुशभांठा कुशगढ़ खैरा बरपानी सोनपुर भानपुर आदि सभी ग्रामों की रबी फसल धान प्रभावित है। ग्राम थरगांव के मालिक राम मिश्रा कांतिलाल साहू ,नईमुद्दीन कुशगढ़, प्रदेश महिला कांग्रेस की महामंत्री प्रेमशीला नायक आदि सभी का कहना है कि इलाके के पूर्णत: पके फसल पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। कुल मिलाकर इलाके का 75 फीसदी धान प्राकृतिक आपदा की भेंट चढ़ चुका है।
इसी तरह पश्चिमी जोंक के गांव राजादेवरी गोलझर चांदन अमरुवा छतवन रिकोकला डूमरपाली रंगोरा चेचरापाली बया धमलपुरा कोसमसरा कुरकुटी पंचायतों सहित आश्रित कुल सभी 42 गांव की फसल प्रभावित हैं।
सरपंचों,जनप्रतिनिधियों जनपद अध्यक्ष गौरीदेवी उपाध्यक्ष रामचरण यादव आदि ने प्रदेश की भूपेश सरकार से प्राकृतिक आपदा से हुई फसल का सर्वेक्षण कराकर किसानों को क्षतिपूर्ति मुआवजा प्रदान कराने की अपेक्षा की है। जन प्रतिनिधियों ने कहा है कि क्षेत्रीय विधायक एवं संसदीय सचिव चन्द्रदेव राय से भी भेंट कर राज्य शासन को अवगत कराने की मांग की जाएगी।
42 गांवों की धान फसल बर्बाद
5 मई को अचानक हुई आंधी तूफान, तेज बारिश और एक घंटे की ओला वृष्टि से धान फसल पूरी तरह बर्बाद हो गयी है। आंधी तूफान बारिश और ओला वृष्टि से राजादेवरी क्षेत्र का 42 गांव बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। धान फसल पककर तैयार था और कटाई का काम शुरू होने को था।
वैसे ही इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों के मंसूबों पर पानी फेर दिया है। डंठल सूख गया था ऐसे में तेज आंधी से फसल जमीन पर गिर गया ।जिसके साथ ही तेज बारिश के साथ एक घण्टे की ओला वृष्टि से धान का बीज झर कर नष्ट हो गया है। फसल इस कदर नष्ट हुआ है कि न तो उसे काटा जा सकता है और न गीली जमीन होने से धान को उठाया जा सकता है ।