बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 मई। जिले में कोरोना का संक्रमण 1 से 10 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्चों में सबसे कम फैला है। इस आयु वर्ग में कोरोना संक्रमण दर 4.8 फीसदी ही है। जिले में अब तक मिले कोरोना संक्रमितों तथा स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिले में लिए जा रहे सैंपल्स की जांच रिपोर्ट के आधार पर जनसंख्या के घनत्व तथा कोरोना वायरस के संक्रमण का आयुवार विश्लेषण करने पर यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है कि जिले में कुल 28851 संक्रमितों में से इस आयु वर्ग के संक्रमित होने वाले बच्चों की संख्या मात्र 1384 है। इसका बड़ा कारण जो सामने आया वो ये कि मां के दूध से विकसित होने वाली रोगों से लडऩे की क्षमता इस उम्र के बच्चों में बरकरार रहती है।
जिला कोविड अस्पताल में 273 मरीज भर्ती हैं, मगर 1 से 10 वर्ष के बीच आयु वर्ग का सिर्फ 1 ही बच्चा भर्ती है। कोरोना से होने वाली मौतों की बात करें तो जिले में पिछले एक सप्ताह में हुई 39 मौतों में इस आयु वर्ग में सिर्फ 1 मौत ही हुई है, वह भी तब जब बच्चे को कोरोना के अलावा अन्य बीमारी भी थी।
लेक्टोफॉर्मिन तत्व आंत में लौह तत्व को बांध लेता है जिसके प्रभाव से रोगाणु पनप नहीं पाते
डॉ. शैलेन्द्र साहू के अनुसार बड़ों के मुकाबले बच्चों में कोविड-19 का जोखिम कम होता है। संक्रमण के इस भयावह दौर में ही इस उम्र के बच्चों में संक्रमण की दर कम होने का जो मुख्य कारण एक्सपर्ट बताते हैं वह यह है कि नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति होती है, जो मां के दूध से शिशु को प्राप्त होती है, जो देर तक बनी रहती है। मां के दूध में लेक्टोफॉर्मिन नामक तत्व होता है, जो बच्चे की आंत में लौह तत्व को बांध लेता है और लौह तत्व के प्रभाव से शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। साथ ही शरीर में रोगों से लडऩे वाले एंजाइम बनते हैं जो बच्चों में ऐसी रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर देते हैं कि वह 10 से 11 वर्ष का होने तक संक्रामक रोगों को मात दे सकता है।
विटामिन-सी, विटामिन-डी और जिंक वायरस को मारने में मदद करते हैं
एक्सपर्ट मानते हैं कि कोरोना से बचाव, इलाज या बाद में रिकवरी के मामले में 3 चीजों की अहम भूमिका है। ये हैं-विटामिन-सी, विटामिन-डी और जिंक। खानपान और एक्सरसाइज से हम इम्युनिटी बढ़ा सकते हैं। जिले के होम आइसोलेशन प्रभारी डॉ. राजकुमार बंजारे ने बताया कि हमें रोजाना 2000 यूनिट विटामिन-डी की जरूरत होती है। यह बैक्टीरिया और वायरस को मारने में मदद करता है। इसलिए कोरोना के मरीज को बॉलकनी या ऐसी खिडक़ी वाला कमरा मिले, जहां भरपूर धूप आती हो। जब धूप आए तो खिडक़ी के शीशे खोल देने चाहिए। शीशे बंद हों तो शरीर पर पडऩे वाली धूप से किसी के शरीर में विटामिन-डी नहीं बनता।
नकारात्मकता इम्युनिटी को कमजोर करती है
मनोचिकित्सक डॉ. राकेश प्रेमी कहते हैं कि नकारात्मकता हमारी इम्युनिटी को कमजोर करती है इसलिए लोगों को ओवर इन्फार्मेशन यानी अनावश्यक सूचनाओं से बचना चाहिए। लोग सकारात्मक रहने के लिए कोरोना से जुड़ी सूचनाएं जैसे डेथ रेट, नया ट्रेंड, म्यूटेंट जैसी बातें सर्च न करें। वे सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और वैक्सीनेशन के जरिए ही कोरोना से बच सकते हैं। यदि किसी को ऑक्सीजन बेड नहीं लगा तो ये उसका जिलेवासियों पर अहसान होगा। लोग अपनी स्किल्स सुधारें, परिवार के साथ वक्त बिताएं। यदि वे पॉजिटिव हो भी गए हैं तो डॉक्टर की निगरानी में रहें और ये मानें कि वे उन 95त्न लोगों में शामिल हैं जिनको घर पर रहकर ही ठीक होने का मौका मिला है।
रक्षा प्रणालियों को मजबूत करते रहें तो कोरोना क्या कैंसर को भी हरा सकते हैं
जिला लैंब इंचार्ज डॉ. अशोक वर्मा ने कुछ ऐसे खाद्य पदार्थों के बारे में बताया है, जो इंसान में मौजूद पांच प्रमुख रक्षा प्रणालियों (रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रणाली, स्टेम सेल, डीएनए, आंतों में पाए जाने वाले अच्छे बैक्टीरिया और रक्त वाहिकाओं) को बीमारियों से सुरक्षित रखने में रामबाण साबित हो सकते हैं। उनका मानना है कि हमारे शरीर को बाहरी दुष्प्रभावों रोगों से ये पांचों रक्षा प्रणालियां बचाती हैं। जब इन पर किन्हीं कारणों से दबाव पड़ता है तो रोग हमें अपने चपेट में ले लेते हैं। ऐसे में अगर अपने खान-पान में दूध, दही, अंडा, संतरा, अनानाश, हरी सब्जी, सुबह की धूप जैसी चीजों के नियमित सेवन से रक्षा प्रणालियों को मजबूत करते रहें तो शुरुआती स्तर में कोरोना से लेकर कैंसर तक को हरा सकते हैं।