महासमुन्द

एक की चिता ठंडी नहीं हुई कि दूसरा शव पहुंच जाता है मुक्तिधाम, किसी दिन 13, कभी 9, कभी 7, सारे लावारिस
02-May-2021 10:24 PM
एक की चिता ठंडी नहीं हुई कि दूसरा शव पहुंच जाता है मुक्तिधाम, किसी दिन 13, कभी 9, कभी 7, सारे लावारिस

अब लकडिय़ां कम पड़ गई, दान के छेना से ही अंतिम विदाई 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 2 मई।
महासमुंद जिला मुख्यालय के अस्पतालों में कोरोना से हुई मौत के बाद कई लोगों के शव रिश्तेदारों के होते हुए लावारिस हो गए और उन लाशों का क्रियाकर्म नगरपालिका के कर्मचारी कर रहे हैं। 

संक्रमण का भयावह दौर चल रहा है। किसी की मौत हो जाती है, तो उसे अपनों का कंधा नसीब नहीं हो पा रहा है। ऐसे वक्त में पालिका का एक कर्मचारी अपने बेटे के साथ मिलकर पॉजिटिव मृतक का दाह संस्कार करने में अहम भूमिका निभा रहा है। 

यह नेक काम पालिका के कर्मचारी अगनू सेंद्रे व उसके बेटे हेमनारायण सेंद्रे कर रहे हैं। दोनों कहते हैं कि वे पिछले वर्ष 2020 से कोरोना पॉजिटिव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं, लेकिन मौत का ऐसा मंजर आज तक नहीं देखा। यह अप्रैल स्थिति को सबसे ज्यादा भयावह रही। क्योंकि इस महीने ऐसा एक भी दिन नहीं गया है। जब तीन से चार शवों का अंतिम संस्कार नहीं किया गया हो। एक चिता ठंडी नहीं हो पाती कि दूसरा शव मुक्तिधाम में पहुंच जाता है। सुबह से शाम तक केवल शवों का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अब तो ये नौबत भी आ गई है कि अंतिम संस्कार के लिए लकडिय़ां भी कम पड़ रही है और मुक्तिधाम में जगह नहीं है। इसलिए शेड के बाहर शवों को जलाया जा रहा है। 

पालिका के कर्मचारी अगनू सेंद्रे कहते हैं कि पिछले महीने अप्रैल में जब लॉकडाउन हुआ  तो उसके दूसरे-तीसरे दिन 13 कोविड शवों का एक ही दिन अंतिम संस्कार किया। इसके बाद मुक्तिधाम में लगातार कोविड पॉजिटिव के शवों अंतिम संस्कार कर रहा हूं। अप्रैल महीने का पांच दिन ऐसा था, जब सबसे अधिक कोविड के शवों का अंतिम संस्कार किया है। एक के बाद एक शव आ रहे थे। उस दिन को याद करता हूं तो आंखों में आंसू आ जाते हैं। अप्रैल महीने में एक दिन 13 उसके बाद 9, 7 व 5 शवों को अंतिम संस्कार किया हूं।

वे बताते हैं कि लकडिय़ों की मांग अधिक होने के कारण सप्लाई भी कम हो गई। ऐसे में दानदाताओं से मिल रहे छेना से कोरोना पॉजिटिव के शवों को अंतिम संस्कार कर रहे हैं। अप्रैल महीने में 63 शवों का अंतिम संस्कार भलेसर मार्ग स्थित मुक्तिधाम में किया गया। सबसे अधिक कोरोना पॉजिटिव शवों का अंतिम संस्कार यहीं हुआ है। कल 1 मार्च को 3 और शवों का अंतिम संस्कार किया गया। इस तरह बाप बेटे दोनोंने मिलकर पालिका के कर्मचारी अपने बेटे के साथ मिलकर 1 अप्रैल से 2 मई तक की स्थिति में 66 शवों का अंतिम संस्कार ससम्मान किया है। इनकी ड्यूटी पिछले साल से इसी मुक्तिधाम में लगी है। 

पालिका के जल प्रभारी विजय श्रीवास्तव कहते हैं कि दाह संस्कार के लिए अब समाजसेवी आगे आ रहे हैं। शहर के व्यापारी राजेश लूनिया ने शुक्रवार को कोविड-19 के पॉजिटिव शवों का दाह संस्कार के लिए 3 हजार छेना दान में दिया है। भलेसर स्थित मुक्तिधाम में दान के छेना से शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। दानदाता कह रहे हैं कि यदि पालिका को अंतिम संस्कार के लिए छेना की जरुरत होगी तो वो हर संभव सहायता का प्रयास करेंगे। बहरहाल मुकितधाम में शेड के नीचे राख की धेरी के भीतर आग धधक रही है, कुछ बूझे भी हैं और शेड के बाहर भी इसी ताने बाने के साथ कोरोना शवों बनाम लाावारिश लाशों की आखरी विदाई जारी है। ऐसा भयावह हालात तब तक जारी रहेगा, नहीं मालूम। 
 

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