रायगढ़
मेडिकल कॉलेज में अव्यवस्था से कराया था अवगत
पत्रकारों ने की जांच की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़/सारंगढ़, 17 अप्रैल। सारंगढ़ के युवा पत्रकार रंजीत सिंह ठाकुर का निधन देर रात मेडिकल कॉलेज रायगढ़ में हो गया। पत्रकारों ने उनके निधन पर शोक जताया है।
कोरोना संक्रमित होने के चलते पहले वह घर में तीन दिन तक होम आईसोलेशन में रहे। उसके बाद तबियत ज्यादा खराब होने के चलते उन्हें रायगढ़ मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया और दो दिन बाद उनकी मौत हो गई। मौत से पहले उन्होंने जिले के वरिष्ठ पत्रकार नरेश शर्मा सहित अपने साथियों को व्हाट्सअप पर मैसेज के जरिए मेडिकल कॉलेज में सही ढंग का खाना नहीं मिलने सहित इलाज में भारी लापरवाही से अवगत कराया था और यह भी कहा था कि उसके हाथ-पैर कांप रहे हैं। ऑक्सीजन लगाने के बाद कोई उसके पास दवा व सुई लगाने नहीं आ रहा है।
अस्पताल में हुई लापरवाही से सारंगढ़ के पत्रकारों में गहरा रोष व्याप्त है। वहीं प्रेस के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष नरेश शर्मा ने भी जिला प्रशासन से इस मामले में जांच की मांग की है। नरेश शर्मा का कहना है कि रंजित की मौत इलाज में लापरवाही के चलते हुई है तो मेडिकल कॉलेज में खराब व्यवस्था को दुरूस्त करने की आवश्यकता है। उनका कहना है कि रायगढ़ जिले में तेजी से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ रही है और लॉकडाउन का भी असर न के बराबर हो रहा है और ऐसे में मरीजों का इलाज भी सही ढंग से न हो तो सवाल उठना लाजमी है। रायगढ़ में व्हाट्सअप पर रंजित के कल दोपहर को भेजे गए मैसेज में यह बात भी सामने आई थी कि उसकी तबियत लगातार खराब हो रही है, हाथ पैर कांप रहे हैं जिसको लेकर मेडिकल कॉलेज स्टाफ से उनकी बहस भी हुई थी।
रंजीत सिंह ठाकुर की मौत की खबर से सारंगढ़ स्तब्ध हो गया है। वैसे ही हृदय विदारक घटना पवन केजरीवाल के चले जाने से हुई थी। स्व. रंजीत सिंह ठाकुर को चाहने वालों ने व्हाट्सएप , फेसबुक में अपना भाव प्रकट करते रहे।
पत्रकार रंजित के निधन के बाद रायगढ़ प्रेस क्लब के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष नरेश शर्मा, पत्रकार संघ के जिला अध्यक्ष यशवंत सिंह ठाकुर, भरत अग्रवाल, ओमकार केशरबानी, गोपेश रंजन द्विवेदी, मिलाप बरेठा, गोल्डी नायक, अधिवक्ता संघ अध्यक्ष विजय तिवारी, प्रकाश चौधरी और अन्य अधिवक्ता व पत्रकार सभी ने श्रद्धांजलि दी। इन सभी पत्रकारों ने कलेक्टर भीम सिंह से यह अपील की है कि पत्रकार रंजित की मौत इस बात को इशारा कर रही है कि मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों की हालत काफी खराब है, सही वक्त में इलाज तो दूर उनको खाना भी नहीं मिल पा रहा है ऐसे में वहां की व्यवस्था में सुधार लाने के लिए ठोस कदम उठाया जाना चाहिए।