कोरिया

आदिवासी किसानों को उच्च तकनीकी के साथ नई-नई फसलें लेने किया जा रहा प्रोत्साहित
25-Mar-2021 5:29 PM
 आदिवासी किसानों को उच्च तकनीकी के साथ  नई-नई फसलें लेने किया जा रहा प्रोत्साहित

किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की विधायक कमरो ने की सराहना

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 25 मार्च।
छत्तीसगढ़ शासन के  मुखिया भूपेश बघेल के मंशानुसार  सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष एवं राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरो के मार्गदर्शन में कोरिया कलेक्टर एसएन राठौर के निर्देशानुसार कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया द्वारा परंपरागत कृषि से भिन्न आदिवासी कृषकों को उच्च तकनीकों के साथ नई-नई फसलें लेने हेतु प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे आदिवासी किसान उच्च तकनीकों की  सहायता से आत्मनिर्भर बनने की दिशा में  आगे बढ़ रहे हैं।

छत्तीसगढ़ शासन के आदेशानुसार वर्तमान में प्रायोगिक तौर पर कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में आदिवासी कृषकों के समूह द्वारा 5 क्विंटल सिंदूर के पाउडर का प्रसंस्करण किया गया है। सिंदूर की 250 ग्राम की पैकिंग की गई है, जिसे बाजार में 38.50 रु. की दर से बेचा जा रहा है। वर्तमान में 500 पैकेट सिंदूर मांग के अनुसार ट्राइफेड, खादी ग्रामोद्योग, हस्तशिल्प विकास बोर्ड, फ्लिपकार्ट के आनलाईन प्लेटफार्म माध्यम से एवं स्थानीय स्तर पर बेचा जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा जून-जुलाई माह में 10 हजार सिंदूर के पौधे तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है जिसे ग्राम गौठानों में रोपित किया जाएगा।

केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक आर एस राजपूत बताते हैं कि सिंदूर के पौधे जिसे अंग्रेजी में अन्नाटो या अचैटी कहते है। इसका वैज्ञानिक नाम विक्सा ओरेलाना है। वर्तमान में कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया में 500 पौधे करीब पांच साल पहले लगाए गए थे, जिसमें बीज आना शुरु हो गये हैं। आदिवासी कृषकों के द्वारा हस्त निर्मित साबून में रंगत हेतु अन्नाटो का उपयोग किया जा रहा है। साथ ही होली त्यौहार में प्राकृतिक रंग के रुप में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। इसके अर्क का उपयोग अमेरिका व अन्य देशो में भोज्य पदार्थों को रंगने में किया जाता है। मुख्य रुप से इसका उपयोग सौन्दर्य प्रसाधन जैसे - लिपस्टिक,  हेयर डाई,  नेल पॉलिश,  साबुन,  सहित आइसक्रीम व मक्खन में रंगत लाने हेतु भी किया जाता है। इसके बीजों को अन्य मसालों के साथ पीसकर पेस्ट या पाउडर बनाकर भोज्य पदार्थों में रंगत लाने हेतु किया जाता है। एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में करीब 400 पौधे रोपित किए जाते हैं। चार वर्ष के पौधे से 4-5 किलो सूखे बीज प्राप्त होते हैं। एक हेक्टर से 800-1000 किलो सूखे बीज प्राप्त होते हैं। 1000 किलो बीज से 700-800 किलो सिंदूर का पाउडर प्राप्त होता है। बाजार में सिंदूर का पाउडर 180 से 200 रूपये किलो तक बिकता है। इस तरह किसान एक हेक्टयेर क्षेत्रफल से 1.25 से 1.50 लाख तक की सकल आमदनी अर्जित कर सकते हैं। भरतपुर-सोनहत विधायक गुलाब कमरो ने छत्तीसगढ़ शासन के योजना अनुसार कृषि विज्ञान केंद्र कोरिया के द्वारा कृषि से भिन्न आदिवासी किसानों को उच्च तकनीकों के साथ नई-नई फसल लेने हेतु प्रोत्साहित करने तथा आदिवासी किसानों को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में किए जा रहे कार्यों की सराहना की है।
 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news