कोरिया
विपदा से बचने सभी पर्व हफ्ते भर पहले ही मनाई जाती है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 23 मार्च। कोरिया जिले के 3 गांवों में लगभग सप्ताह भर पहले ही होली मना ली गयी। कोरिया जिला मुख्यालय बैकुंठपुर से करीब 15 किमी की दूरी पर स्थित गांव अमरपुर है। किसी अनहोनी घटनाओं से बचने के लिए वर्षों पूर्व से पूर्वजों के समय से होली सहित सभी तरह के पर्व लगभग एक सप्ताह पूर्व मनाये जाने के निर्देश गांव के बैगा ने तब दिये थे, जिसके पालन में आज कई वर्ष बीत जाने के बाद भी अमरपुर के लोग सभी पर्व एक सप्ताह पूर्व ही मनाते चले रहे हैं।
जिले के अमरपुर गांव की तरह ही जिले के दो अन्य गांवों में भी समय से पूर्व कोई भी पर्व मनाये जाने की परंपरा आज भी कायम है। जानकारी के अनुसार जिले के सोनहत जनपद पंचायत अंतर्गत ग्राम बसवाही व तंजरा में भी गांव में किसी अनहोनी घटना को लेकर वर्षों पूर्व समय से पूर्व किसी भी पर्व को मनाये जाने की शुरूआत हुई थी, जिसका निर्वहन ग्रामीणों द्वारा आज भी किया जा रहा है। उक्त दोनों गांवों में भी समय से पूर्व होली सहित अन्य तरह के पर्व मनाये जाते हंै।
जानकारी के अनुसार ग्राम अमरपुर में 23 मार्च को गांव वालों के द्वारा उत्साह के साथ होली का पर्व मनाया। सुबह होने के साथ ही जगह जगह फाग गीतों के साथ रंग अबीर उडऩे लगे थे।
विपदा से बचने आजादी के पूर्व शुरू हुई थी परंपरा
अमरपुर में 23 मार्च को उल्लास के साथ ग्रामीणों ने होली मना ली। जबकि आगामी 29 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा। यहां सभी तरह के पर्व एक सप्ताह पूर्व मना लिया जाता है।
बुजुर्गों के अनुसार एक दौर ऐसा आया कि उस वर्ष गांव के कई लोग विभिन्न तरह की बीमारियों की चपेट में आने लगे। गांव में हैजा का प्रकोप बढ़ गया, जिससे कई परिवार में मौते होने लगी, साथ ही मवेशियों की भी मौत होनी शुरू हो गयी। अचानक आये विपदा से परेशान लोगों ने गांव के बैगा से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि गांव में बुरी आत्मा का प्रकाप है। इसके लिए पूजा-पाठ कराये गये और बैगा के निर्णय के अनुसार गांव के लोगों को सलाह दी गयी कि सभी त्यौहार समय से एक सप्ताह पूर्व मना लें, तभी विपदा दूर होगी। तब यह परंपरा की शुरूआत हुई और आज कई पीढ़ी बाद भी उसी परंपरा का ग्रामीण निर्वहन करते आ रहे है।
शिक्षित परिवार भी मानते हंै परंपरा को
जब अमरपुर में विपदा आई थी, वह वर्षों पूर्व की बात थी, तब गांव में शिक्षा का प्रसार नहीं था, लेकिन समय के साथ लोग शिक्षित होने लगे। आज के दौर में गांव के कई परिवार शिक्षित हो गये हंै और सरकारी सेवाओं में भी है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षित परिवार होने के बाद भी अपने पुरखों की इस परंपरा को आज भी निर्वहन करते आ रहे हैं। इस पर कोई तर्क-वितर्क नहीं करता, बल्कि सभी एकजुट होकर सभी पर्व समय से पूर्व मनाते आ रहे है। सभी कोई गांव की खुशहाली चाहते है। वहीं अब नई पीढ़ी को सिर्फ अपने बुजुर्गों से सुनी बात का निर्वहन कर रहे हैं।