नारायणपुर

बरसों पुरानी परंपरा टूटी, दो बार हुई परिक्रमा
11-Mar-2021 1:39 PM
बरसों पुरानी परंपरा टूटी, दो बार हुई परिक्रमा

भंवर देव पहुंचे थाना, टीआई की अगुवाई में पूरी की परिक्रमा

अबूझमाड़ से लेकर अंचल के देवी- देवताओं ने लिया हिस्सा

छत्तीसगढ़ संवाददाता
नारायणपुर, 11 मार्च। 
विश्व प्रसिद्ध माता मावली मेला की शुरुआत पांच परगना के  देवी-देवताओं के ढाई परिक्रमा के बाद बुधवार से शुरू हो गई है। बुधवारी बाजार वार्ड में देव मिलनी स्थल में देवी-देवताओं के संगम के बाद ढोल नगाड़ों की थाप पर मावली परगाव करते हुए ढाई परिक्रमा की रस्म अदायगी की गई। जिसमें देव समिति के सदस्यों के अलावा जिला प्रशासन के अधिकारी मौजूद रहे। 

इस बीच देवताओं के बीच कहासुनी होने से वर्षों पुरानी परंपरा टूट गई। एक देवता को मनाने में जहां दो घंटे लग गए । वहीं भंवर देव अपने पुजारी के साथ सीधे पुलिस थाना पहुंचकर मेला में अनहोनी की बात कहते मेला समिति पर उपेक्षा करने की बात कही। वहीं इसके बाद थाना प्रभारी को मेला स्थल की परिक्रमा करने के लिए अगुवाई करने को कहा। जिसके बाद भंवर देव के जत्था में शामिल देवी-देवताओं को टीआई तोपसिंह नवरंग के द्वारा दूसरी बार परिक्रमा कराया गया। इसके बाद देवताओं की रवानगी मंदिर की तरफ हुई। जहां देव समिति के लोगों के द्वारा नाराजगी जताई गई। जिसके बाद काफी देर तक विवाद चलता रहा। थाना प्रभारी के द्वारा सभी लोगों को समझाइश देकर मामले को शांत कराया गया। 

पारंपारिक मेला देवी देवताओं का संगम स्थल- चंदन 
शुभारंभ अवसर पर पहुंचे हस्तशिल्प विकास बोर्ड के अध्यक्ष चंदन कश्यप ने कहा कि एतिहासिक माता मेला में प्राचीन काल से जो परंपरा चली आ रही है उसे संजोह कर रखना है। प्राचीन संस्कृति को बरकरार रखने के लिए समाज के विभिन्न वर्गों के युवाओं को आगे आने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि  आदिकाल से चली आ रही मेले का स्वरूप दिनों दिन बदलता जा रहा है। आदिवासी समाज की सभ्यता और संस्कृति को करीब से दिखाने वाले इस मेला के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए हम सबको पूरी शिद्दत के साथ काम करना होगा। मेला एक दूसरे से मिलने जुलने का सबसे बेहतरीन माध्यम है। जिसके जरिए आपसी भाईचारा मजबूत होती है। सरकार की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख करते विधायक ने अंदरूनी इलाकों से आए ग्रामीणों को जिला प्रशासन की प्रदर्शनी का अवलोकन कर शासकीय योजनाओं का लाभ लेने की बात कही।

चंदन कश्यप ने कहा कि पारंपारिक मेला देवी देवताओं का संगम स्थल है। बस्तर की संस्कृति पूरी देश दुनिया में प्रसिद्ध है। माता मावली के आशीर्वाद से बस्तर प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल के कुशल मार्गदर्शन में बस्तर के अंदरूनी इलाकों में सरकार की पहुंच अंतिम व्यक्ति तक हो रही है। जिन इलाकों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती थी,  वहां सडक़ों का जाल बिछाया जा रहा है। 

पीसीसी महासचिव रजनु नेताम ने कहा कि जिला प्रशासन एवं माता मावली मेला समिति के द्वारा मेला की भव्यता को बनाए रखते हुए मनोरंजन के लिए मेला स्थल में व्यापक इंतजाम किए गए हैं, जिससे अंदरूनी इलाकों से आए ग्रामीणों को बेहतर माहौल मिल रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के मानचित्र में  माता मेला की अलग ही पहचान बनी हुई है। करीब  800 साल से भरते आ रहे इस मेले की लोकप्रियता को बनाए रखने के लिए कंधे से कंधा मिलाकर चलना होगा। 

वहीं नगर पालिका अध्यक्ष  सुनीता मांझी ने कहा कि मेला के जरिए रिश्ते मजबूत हो रहे हैं। ग्रामीणों की आमदनी का जरिया भी मेला बना हुआ है। हर साल लाखों रुपए का कारोबार मेला में होता है। जिससे  ग्रामीण अंचल के लोग मजबूत हो रहे हैं। 
सीईओ जिला पंचायत राहुल देव ने  कहा कि  32 गढ़ के देवी देवताओं का साल में एक बार माता मेले के अवसर पर मिलन होता है जो आदिम संस्कृति की झलक दिखाती है। जिला प्रशासन के द्वारा ग्रामीणों की सहूलियत के लिए प्रदर्शनी लगाई गई है। मेले में होने वाले प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए मंच भी बनाया गया है।

इस मौके पर जिला पंचायत अध्यक्ष श्यामवत्ती नेताम, जिला पंचायत उपाध्यक्ष देवनाथ उसेंडी, नगरपालिका उपाध्यक्ष प्रमोद नैलवाल, युवा कांग्रेस अध्यक्ष अमित भद्र,एसडीएम दिनेश नाग, राजेश दीवान,जेपी देवांगन, रधु मानिकपुरी,जय वट्टी,विजय सलाम, बोधन देवांगन, उमेश कर्मा समेत लोग मौजूद रहे।

 

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