रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 5 मार्च। सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कोरोना महामारी और उसके बाद हुए लॉकडाउन ने देश में श्रमिक वर्ग की हालत खराब कर दी है। स्थिति बेहतर करने की बजाय यह सरकार देश में लागू श्रम कानूनों को कमजोर कर रही है। मजदूर वर्ग 8 घंटे के बजाय 12 घंटे काम कर रहा है। लॉकडाउन होने से सबसे ज्यादा भार महिलाओं पर पड़ा है।
छत्तीसगढ़ महिला अधिकार मंच से जुड़ी सुश्री सोनी सोरी, अधिवक्ता गायत्री सुमन, मीरा डहरिया, ममता कुजूर, सीमा झा, देवसेना के साथ यहां एक पत्रकारवार्ता में राज्य के अलग अलग कोनों में संघर्ष कर रही महिलाओं से जुड़े मुद्दों को सामने रखी। उन्होंने कहा कि उनका प्रयास है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सम्पर्क कर इन सब मुद्दों पर उनका व राज्य सरकार का ध्यान आकर्षित करें, ताकि पीडि़तों पर न्याय मिल सके।
महिला अधिकार मंच की पदाधिकारियों ने कहा कि पिछले कुछ सालों में बढ़ते हिन्दू कट्टरवाद, मजदूर नीतियों से छेड़छाड़, कल्याणकारी सेवाओं में कटौती जैसी नीतियों ने हम पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव डाला है। साथ ही कोरोना महामारी, मगर उससे भी ज्यादा राज्यों खासकर के केंद्र की महामारी से निपटने की नीतियों ने महिलाओं, श्रमिक, दलित, मुस्लिम, और वंचित समुदायों को और भी अनिश्चित स्थितियों में लाकर खड़ा कर दिया है।
भिलाई छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा की नीरा डहरिया ने श्रमिक वर्ग खासकर महिलाओं पर पिछले एक साल में हुए असर और बदलावों पर अपनी बात रखी। खेमीन जो नगर निगम दुर्ग में सफाई कर्मचारी व यूनियन की सदस्य हैं, ने भी सफाई कर्मचारियों की हालत पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि पूरे लॉकडाउन में बिना सुरक्षा सुविधा और बिना ओवरटाइम पेमेंट का लगातार काम किया है। बार-बार आवेदन व शिकायत के बावजूद ना हक का पेमेंट मिला है, और ना ही ढंग की सुरक्षा सुविधाएं।
जशपुर की ममता कुजूर ने जशपुर जिले में आदिवासी व अन्य वंचित तपके की लड़कियों की लगातार तस्करी व दूसरे राज्य में पलायन-मजदूरी, आर्थिक व यौनिक शोषण की बात रखी। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार से इन सब पर पहल कदमी की मांग की।
सुश्री सोरी ने बताया कि कुछ हफ्ते पहले बस्तर क्षेत्र में एक प्रत्यार्पित 22 वर्षीय महिला की आत्महत्या की घटना सामने आयी। महिलाओं के परिवार वालों का आरोप है कि महिला से जबरदस्ती प्रत्यार्पण/सरेंडर कराया गया था। उसके घरवाले यह भी आशंका जाता रहे है कि महिला ने आत्महत्या नहीं, बल्कि उसकी हत्या हुई है।
देवसेना ने ट्रान्सजेंडर समुदाय के सामने अनगिनत चुनौतियों और रोजगार की बात रखी। उन्होंने कहा कि यह समुदाय अपनी अस्तित्व व समाज में गरिमा-सम्मान की लड़ाई लड़ रही है।