रायपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 मार्च। छत्तीसगढ़ कॉन्ट्रेक्टर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने बुधवार को कार्यकारिणी की बैठक में प्रदेश में चल रही अवैध खनिज खदानों को बंद कराने का मुद्दा उठाते हुए बाजार दर रायल्टी को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का प्रस्ताव पारित किया है। उन्होंने बताया कि सरकारी निर्माण कार्यों में बाजार दर पर खनिज रॉयल्टी की वसूली के खिलाफ 1 से 3 मार्च तक निर्माण ठप रहा। इसके बावजूद शासन-प्रशासन ने समस्या का समाधान करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इससे सभी विभागों के ठेकेदारों में रोष है।
प्रदेश अध्यक्ष शुक्ला ने जारी एक बयान में कहा है कि प्रदेश में 10 हजार करोड़ के चल रहे निर्माण कार्यों में गिट्टी, रेत और मुरम की जितनी खपत हो रही है, उतनी मात्रा में खनन करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय से छत्तीसगढ़ खनिज विभाग को अनुमति ही नहीं मिली है। इसलिए सभी खदानों में निर्धारित क्षमता के विपरीत जाकर अवैध खनन कर खनिज कर परिवहन किया जा रहा है और राज्य सरकार ने ठेकेदारों के लिए बाजार दर पर रायल्टी लागू की गई है। ऐसे में खनिज खदानों के संचालकों द्वारा पिट पास जारी नहीं करने की स्थिति में कलेक्टरों की कार्रवाई का शिकार ठेकेदारों को होना पड़ेगा। क्योंकि बाजार दर पर रायल्टी वसूलने के लिए राज्य सरकार ने कलेक्टरों को अधिकृत कर दिया है। ऐसी विषम परिस्थिति में निर्माण कार्यों का टेंडर लेने वाला ठेकेदार परेशान है।
उन्होंने बताया कि इस मुद्दे को लेकर अब उन सभी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाने का निर्णय लिया है। साथ ही एक प्रस्ताव राज्य शासन को भेजकर टेंडर शर्तों के एसाओआर दर में संशोधन करने की भी मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष शुक्ला के बताया कि बाजार दर पर रायल्टी की वसूली सहित चार सूत्रीय मांगों को लेकर चरणबद्ध आंदोलन ठेकेदारों को करने के लिए मजबूर होना पड़ा। लेकिन राज्य शासन के अडिय़ल रवैये के कारण वित्तीय वर्ष मार्च का समापन होने के बाद प्रदेशभर में निर्माण पूरी तरह से अनिश्चित काल के लिए ठप हो जाएगा।