कोरिया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बैकुंठपुर, 3 मार्च। राज्य सरकार के बजट भाषण के 175 बिंदुओं में कर्मचारियों संवैधानिक अधिकारों नहीं मिला स्थान,जोकि राज्य के विकास योद्धाओं के लगन और त्याग का अवमूल्यन है। सरकारी योजना मस्त और कर्मचारी पस्त। राज्य के बजट पर उपरोक्त प्रतिक्रिया छत्तीसगढ़ प्रदेश शिक्षक फेडरेशन के प्रांताध्यक्ष राजेश चटर्जी, उप प्रांताध्यक्ष राजेन्द्र सिंह एवं कोरिया जिला अध्यक्ष रवींद्रनाथ तिवारी ने व्यक्त किया है।
उन्होंने बताया कि अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की स्थापना वर्षों पुराने हिंदी माध्यम के स्कूलों के यू-डाइस पर हो रहा है।इन स्कूलों में स्वीकृत पदों को समाप्त किया जा रहा है। मुख्यमंत्री को इसे संज्ञान में लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि प्राचार्य के 171, प्रधान पाठक के 171,व्याख्याता के 1881,शिक्षक के 1026 एवं अन्य कर्मचारी संवर्ग के पद समाप्त होने की स्थिति में पदोन्नति एवं नये भर्ती के पद कम होंगे। उन्होंने बताया कि बजट में लोक लुभावन योजनाओं का उल्लेख है,लेकिन इन योजनाओं को लागू करने वाले कर्मचारियों के लिए बजट में अपेक्षित प्रावधान नहीं है। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2019 एवं 1 जुलाई 2020 का कुल 9 त्न महंगाई महंगाई भत्ता स्वीकृत नहीं हुआ है जोकि वेतन का भाग है। 1/1/2016 को स्वीकृत हुआ सातवे वेतनमान का एरियर्स का बकाया किस्त 1/7/16 से 30/9/16 ; 1/10/16 से 31/12/16 ; 1/1/17 से 31/3/17 ; 1/4/17 से 30/6/17 के स्वीकृति का बजट में प्रावधान नहीं किया,जिसके कारण कर्मचारियों में बेहद आक्रोश है। उन्होंने बताया कि सहायक शिक्षकों पद पर नियुक्त होकर 30 वर्ष सेवा पूर्ण करने के फलस्वरूप तृतीय क्रमोन्नत/ समयमान वेतनमान का प्रस्ताव 31/10/20 को डी पी आई ने शासन को भेजा था। जिसका आंकलन सालाना व्यय रु 15,96,00,000 अनुमानित था। बजट में प्रावधान नहीं होने से प्रभावित शिक्षकों में सरकार के प्रति नाराजगी है। जबकि प्रत्येक शिक्षक के वेतन में रु 336 का वृद्धि होगा। उन्होंने बताया कि चार स्तरीय वेतनमान देने का वादा जनघोषणा पत्र में था। लेकिन इसका भी उल्लेख बजट में नहीं है। हम आस लगाये बैठें हैं, वो वादा करके भूल गये। उन्होंने बजट 2021 को, कर्मचारी हित विलुप्त बजट निरूपित करते हुए कहा है कि बजट से तकरीबन संख्या 3,96,699 शासकीय सेवक सहित उनके परिवार के सदस्यों में सरकार के प्रति असंतोष व्याप्त हो गया है। उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण के रोकथाम में कर्मचारियों ने सेवा करते करते अपने प्राण न्योछावर किया है। सरकार कोरोना शाहिद परिवार का सुध भी नहीं ले रही है।