बलौदा बाजार

छत्तीसगढ़ का लघु पंजाब बना कसडोल का राजादेवरी क्षेत्र
03-Mar-2021 6:47 PM
 छत्तीसगढ़ का लघु पंजाब बना कसडोल का राजादेवरी क्षेत्र

  जंगल क्षेत्र सहित मैदानी में भी छाई धान की हरियाली   

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कसडोल, 3 मार्च। कसडोल तहसील क्षेत्र का राजादेवरी 42 गांव विगत 3 दशक से लगातार रबी फसलों के विस्तार का इतिहास रचने लगा है जिसके साथ-साथ वन परिक्षेत्र देवपुर के अलावा बार नवापारा एवं कोठारी अभ्यारण्य के कुछ ग्रामों में भी रबी फसल धान की खेती हुआ है। कुल मिलाकर कसडोल तहसील क्षेत्र के अंतर्गत इस साल अब तक का सर्वाधिक रबी फसल धान की कसडोल तहसील क्षेत्र में खेती हुई है। दलहन-तिलहन सहित धान की छाई मनमोहक शीतलता और अच्छी पैदावार की उम्मीद से क्षेत्र के किसान प्रफुल्लित हैं।

6 हजार हेक्टेयर से अधिक कृषि भूमि में धान की हुई है खेती

कसडोल तहसील क्षेत्र अंतर्गत रबी फसल धान की हालात का जायजा लेने तथा किसानों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक का सर्वाधिक रबी फसल धान की खेती होने की पुष्टि हुई है। किसानों तथा कृषि विकासखण्ड अधिकारी कसडोल बी एस ठाकुर से मिली जानकारी के अनुसार राजादेवरी क्षेत्र के 42 ग्रामों में जहां प्राकृतिक सिंचाई साधन भूमिगत बोर के माध्यम से विगत 3 दशक से उत्तरोत्तर रबी फसल धान की खेती होती आ रही है। जिसमें लोगों का अनुमान है कि हर साल सर्वाधिक इस क्षेत्र के 42 गांव में 4 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि में धान की खेती का अनुमान है। प्रगतिशील कृषक संतोष पटेल लक्ष्मी नायक चेचरापाली लक्ष्मण पटेल अवध यादव बादल प्रधान नरेश यादव सरपंच रंगोरा देवानंद नायक सौकी प्रधान डूमर पाली  इंद्रजीत पटेल विजय बरिहा चंद्रिका पटेल देवगांव  मुन्नालाल नायक चाँदन बांच्छापूर्ण पटेल तिलकराम नायक टप्पूलाल नायक श्रीमती प्रेमशीला नायक आदि प्रगतिशील किसानों का कहना है कि पूर्वी जोंक एवं पश्चिमी जोंक के 42 गांव दो भागों में बंटा है। पूर्वी जोक के गांव थरगांव के मालिकराम मिश्रा, कांतिलाल साहू का कहना है कि प्राय: राजादेवरी के 42 गांव के सभी ग्रामों में धान की खेती हुई है जो कमोबेश 10 हजार से अधिक कृषि भूमि में होने का अनुमान है । इस क्षेत्र में एकमात्र भूमिगत बोर से ही सिंचाई होती है। इसे छत्तीसगढ़ का लघु पंजाब कहा जाय तो अतिशयोक्ति नहीं होगी।

बलार जलाशय से 4 हजार एकड़ में धान की खेती

इस साल बरसात में अन्यजिलों से सर्वाधिक बारिश कसडोल तहसील में हुई है। सिंचाई विभाग कार्यपालन अभियंता कसडोलटी सी वर्मा का कहना है कि वर्ष 2008  के बाद 12वें साल 2020 में बलार जलाशय में लबालब पानी का भराव हुआ है। जिसके कारण रबी फसल धान के लिए पानी 3 हजार एकड़ के लिए मांग हुई है। संसदीय सचिव में क्षेत्रीय प्रवास पर सार्वजनिक रूप से 12 हेक्टेयर कृषि भूमि में धान की खेती का डिमांड की जानकारी दी थी।

श्री वर्मा का कहना है कि उम्मीद से ज्यादा 4 हजार एकड़ कृषि भूमि में धान की खेती का अनुमान है। सिंचाई अधिकारी वर्मा का कहना है कि किसान चाहते तो ज्यादा रकबा में सिंचाई किया जा सकता था। किंतु फसल सुरक्षा के अभाव में किसान पैदावार नहीं लेने की बात कही है।

बलार से जिन ग्रामों में रबी फसल धान की खेती हुई है उसमें नगर कसडोल के अलावा आसपास के गांव असनीद, हटौद, बैगनडबरी, कुर्रहा, बिलारी, छरछेद आदि के किसान हैं। इसके अलावा कसडोल तहसील के अभ्यारण्य कोठारी बारनवापारा वन परिक्षेत्र के चरौदा गबोद आमगांव लोरिदखार ढेबी ढेबा मोहदा पांडादाह दोण्ड सैहामाडा बार सहित वन परिक्षेत्र अर्जुनी सोनाखान लवन के की ग्रामों में सौर ऊर्जा के विस्तार और उपलब्धता से लगातार एबी फसल में प्रतिवर्ष इज़ाफ़ा हो रहा है ।इसका श्रेय वन विभाग तथा केंद्र और राज्य सरकार की कृषि सिंचाई अनुदान नीति का परिणाम है ।जिससे लघु सीमांत मध्यम सभी वर्ग के किसान लाभान्वित हो रहे हैं।

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