रायगढ़
औद्योगिक स्वास्थ्य सुरक्षा विभाग ने प्रभावित क्षेत्र का किया दौरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 27 फरवरी। तमनार ब्लाक के सरायपाली गांव में सिलिकोसिस संभावितों की जांच के लिए स्वास्थ्य कैम्प लगवाया गया जिसमें विभिन्न प्रकार की जाँचें की गई। गांव के 7 लोगों का सीटी स्कैन, एक्स रे होने के बाद अन्य तरह की जांच की गई है। जांच के पहले औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग की टीम ने कई लोगों का बयान लिया फिर उनकी जांच कराई गई।
पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी संस्था जनचेतना ने इसकी जानकारी मुख्यमंत्री को दी थी जिसके बाद कलेक्टर के निर्देश पर औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग की टीम ने वहां का दौरा किया। कुछ लोग लंबे समय से सिलिकोसिस से प्रभावित रहे हैं। कई बार सर्वे हुआ और कई बार जांच भी हुई इसके बाद भी यहां इस बीमारी की समस्या बनी हुई है।
विभाग के सहायक संचालक राहुल पटेल ने बताया कि साल 2015 में इस बीमारी को लेकर पहली बार शिकायत हुई थी। उस समय 12 से 15 संभावित लोगों का वहां कैंप लगाकर इलाज किया गया था और कई तरह की जांच भी की गई। उस समय 4 लोगों में सिलकोसिस पॉजिटिव आया था। इनके लिए शासन से 3-3 लाख रुपये की मुआवजा राशि भी मुहैया कराई थी। अभी फिर से 7 लोगों की पूरी जांच की गई है इसमें सिटी स्कैन एक्स-रे, बलगम समेत अन्य जांच शामिल है। मेडिकल बोर्ड रिपोर्ट की जांच करेगी इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक डॉ. मनोज मिंज ने बताया कि जिन लोगों की जांच रिपोर्ट हमारे पास आई थी उसे औद्योगिक स्वास्थ्य एवं सुरक्षा विभाग के सहायक संचालक के पास भेज दी गई है। रिपोर्ट में कुछ लोगों में न्यूमोकोनिओसिस के लक्षण पाए तो गए हैं पर पॉजिटिव केस के कंफर्मेशन के लिए उच्च केंद्र से जांच के लिए अभिमत पेश किया गया है।
2015 में आया था पहला मामला
जनचेता से जुड़ी सविता रथ ने बताया कि सरायपाली वाले क्षेत्र में सिलिकोसिस बीमारी 2015 में पुष्टि हुई। नीदरलैंड के डॉक्टर मुरलीधरन जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन से जुड़े थे उन्होंने इस क्षेत्र में कैंप लगाकर लोगों की जांच की और बीमारी की पुष्टि की तब जाकर सिलकोसिस के मामले को जिले में दर्ज किया गया। हमारी संस्था लगातार इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए लोगों समेत उद्योगों को बार-बार सचेत करते रही है।