राजनांदगांव

गुरु का स्थान जीवन में सबसे बड़ा - साध्वी
27-Feb-2021 4:31 PM
गुरु का स्थान जीवन में सबसे बड़ा - साध्वी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता 
राजनांदगांव, 27 फरवरी।
जैन साध्वी चंदनबाला श्रीजी ने शुक्रवार को अपने नियमित प्रवचन में कहा कि गुरु का स्थान जीवन में सबसे बड़ा होता है। गुरु बने बिना मोक्ष मिल सकता है, किंतु गुरु बनाए बिना मोक्ष नहीं मिल सकता। उन्होंने कहा कि मानव जीवन में गुरु तीन तरह के होते हैं। पहले गुरु माता-पिता होते हैं। उसके बाद महात्मा या संत और तीसरे गुरु परमात्मा होते हैं। माता-पिता वह है, जो हमें संस्कार देते हैं।

स्थानीय जैन बगीचा स्थित ज्ञान वल्लभ उपाश्रय भवन में अपने प्रवचन के पांचवें दिन साध्वी श्री चंदनबाला श्रीजी ने कहा कि दूसरे गुरु महात्मा या संत होते हैं, जो जीवन निर्माण की कला सिखाते हैं। तीसरे गुरु परमात्मा हैं, जो हमें जीवन निर्वाण का रास्ता बताते हैं। उन्होंने कहा कि जिस तरह तिजोरी की सफाई हम स्वयं करते हैं, उसी तरीके से माता-पिता भी हमारी तिजोरी ही है। जिनकी देखभाल हमें स्वयं करनी चाहिए।  साध्वी श्री ने कहा कि महात्मा का चरण आचरण का प्रतीक होता है। परमात्मा की पूजा करने से पहले हमें चरणों की पूजा करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि मां कहती है कि बेटा रो मत और गुरु कहते हैं कि बेटा सो मत। यहां सोने का तात्पर्य प्रमाद से है। गुरु हमेशा प्रमाद से दूर रहने के लिए कहते हैं। सद्गुरु ही हमें जीवन के महत्व समझा सकते हैं, जीवन के महत्व को समझने के लिए हमें गुरु के महत्व को समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर जगह नियम है। स्कूल, घर, शरीर आदि में नियम है। इन नियमों का पालन भी करते हैं, किंतु हम धर्म के नियमों का पालन नहीं करना चाहते। गुरु यदि कोई नियम देता तो उसका पालन नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा कि साधु साध्वी यदि प्रेरणा देते हैं तो आपके लिए ही।

आप अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पाने के लिए पुरुषार्थ करें तो सफलता अवश्य मिलेगी। उन्होंने कहा कि जीवन में गुरु का होना बहुत जरूरी है। जिनके जीवन में गुरु नहीं होता उनका जीवन शुरू नहीं होता। गुरु दर्शन ज्ञान चारित्र की आराधना करना सिखाते हैं।
 

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