कोण्डागांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 25 फरवरी। भारतीय जनता महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष अनीता नेताम ने राज्यसभा सांसद फ ूलो देवी नेताम के महिला आंदोलन के नाम पर घडिय़ाली आसू बहाने वाले और पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल से तुलना वाले बयान पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि, राज्य सभा सांसद फ ूलोदेवी नेताम अपनी सरकार की नाकामी का ठीकरा दूसरों पर फोड़ रही है। उनका यह आरोप लगाना कि, प्रदेश में पूर्व शासन काल में कई घटनाएं हुई, यह वर्तमान सरकार की नाकामियों व वर्तमान परिस्थतियों पर पर्दा डालने का काम है। प्रदेश की पीडि़त महिलाओं के आंसू शायद सांसद को नजर नहीं आ रहे। आलम यह है कि प्रदेश में कानून व्यवस्था चरमरा गई हैं। आपराधिक प्रवृत्ति के कुछ असामाजिक तत्व प्रदेश में अन्याय, अत्याचार, माफि याराज, बलात्कार व चाकूबाजी का पर्याय बन चुके हैं।
बीते दो वर्षों में महिलाओं के खिलाफ घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीडऩ व शोषण, आदिवासी महिलाओं के विरुद्ध अत्याचार आदि के ग्राफ में बेहिसाब उछाल आया है। सांसद फ ूलोदेवी नेताम से पूछना चाहूंगी कि, वे किस आधार पर राजनीतिक नैतिकता व शुचिता की बात करती हैं। जबकि उनके अपने क्षेत्र केशकाल व कोण्डागांव में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार से वो स्वयं भलीभांति परिचित हैं। विगत दिनों 20 जनवरी को 13 वर्ष की नाबालिग बच्ची के साथ हुई जघन्य घटना की रिपोर्ट थाने में दर्ज होने के पश्चात भी प्रशासन द्वारा कार्रवाई न किए जाने पर जब महिला मोर्चा कोण्डागांव इकाई ने इस ओर ध्यान आकृष्ट किया तब कहीं जाकर आरोपी की गिरफ्तारी हुई। पीसीसी अध्यक्ष मोहन मरकाम ऐसी घटनाओं पर मौन क्यों हैं? आज प्रदेश की जर्जर कानून व्यवस्था, हत्या, लूट, बलात्कार की घटनाओं में जो चौतरफा इजाफा हुआ है। क्या इसके लिए प्रदेश सरकार की जवाबदेही नहीं बनती।
शासन को चाहिए कि स्मार्ट पुलिसिंग पर बल दिया जाए, हिंसा के विरुद्ध व्याप्त कानून की जानकारी देकर ज्यादा से ज्यादा जागरूकता बढ़ाई जाए, नशाखोरी बंद हो व महिला स्वावलंबन की दिशा में योजनाएं बने। महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार पर बल दिए जाने के साथ ही उनकी सुरक्षा करने की आवश्यकता है, जिससे समाज को सही दिशा मिले।