जशपुर
गेहूं के खेत में बेसुध पड़ी मिली, नाबालिगों की सेहत सुधरी
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
पत्थलगांव, 18 फरवरी। कल पहाड़ी कोरवा नाबालिग बच्चियों को जशपुर जिले की बगीचा पुलिस ने गेहूं खेत से बेहोशी की हालत में अस्पताल पहुंचाकर इलाज करवाया, और अब बच्चियां खतरे से बाहर भी आ गई है।
दो मासूम पहाड़ी कोरवा बच्चियों की उम्र 9 और 10 साल है। परिजनों ने बताया कि घर में कुछ खाने को नहीं था, बच्चे भूखे थे, इस बीच ये दोनों बच्चे घर से निकले, कहीं गांव में ही हडिय़ा (राइस बियर) बनाने के बाद सड़ा चावल (भात) फेंका हुआ था। मासूम बच्चियों को भूख जोरों की थी, एक पॉलीथिन में उस चावल को उठाया और कोई न देखे, इसलिए गेहूं के खेत में छिपकर खा रहे थे। रात को भी घर में भोजन कम था तो थोड़ा बहुत ही बच्चों को भी मिल पाया। गेहूं के खेत में बच्चों ने उस चावल को ले जाकर खाया, और फ़ूड पॉइजनिंग से बेहोश हो गई। (बच्चों के पास वो पॉलीथिन में चावल और स्थल पर बिखरा चावल परिवार वालों की बात की गवाही कह रहा था।)
यह परिवार रोजी मजूरी करने के लिए कहीं से कुछ साल पहले बग़ीचा बाजारडांड की छपरी में आये थे। फिर उन छपरी से हटा कर वहां बने पहाड़ी कोरवा भवन में रखा गया। फिर इन पहाड़ी कोरवाओं को अटल आवास जो खंडहर हो रहा था, वहां शिफ्ट कर दिया गया। परिजनों का आरोप है कि अब उस आवास को खाली करने के लिए एसडीएम कार्यालय से बेदखली का नोटिस पर नोटिस दिया जा रहा है।
परिवार के लोगों ने बताया कि इन दोनों बच्चियां में से एक मौसी है तो एक भतीजी। इन परिवारों के बीच में एक ही राशन कार्ड बना है और 35 किलो चावल भी मिलता है। मगर वह भी महीने में 15 -20 दिन ही चलता है। जाहिर है जिन दो परिवार में दो राशन कार्ड बनने थे, उसे 1 कर दिया गया।
इस मामले में जब एसडीएम बगीचा से सम्पर्क किया गया तो उनका फोन बंद बताया। तहसीलदार से जब सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि यह मामला नगर पंचायत का है और नगर पंचायत के लोग ही चावल वितरण करते हैं। जब नगर पंचायत सीएमओ को फोन लगाया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।