बीजापुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 15 फरवरी। मां भद्रकाली मेला का भव्य आयोजन 15 को कलश यात्रा के साथ शुरू हुआ।
यह भद्रकाली मंदिर भोपालपटनम मुख्यालय से लगभग 17 किलोमीटर दूर पर स्थित है यह तेलंगाना और महाराष्ट्र के सरहद पर है एनएच 163 रोड किनारे से सटा हुआ है यह मेला का पर्व सोमवार को भद्रकाली गांव एवं आसपास के महिलाओं के द्वारा पवित्र त्रिवेणी संगम से कलश यात्रा के द्वारा जल लाकर माता को स्नान करा कर घटस्थापना कर मंडप आच्छादन कर मेला का कार्यक्रम प्रारंभ किया जाता है जिसमें 16 फरवरी को माता जी का पूजा अर्चना की जाती है । रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है उसी दिन सुबह 4 बजे अग्नि कुंड का आयोजन होता है जिसने रात भर अग्नि को जलाकर आग को कुंड में पूरी तरह फैलाया जाता है और दक्षिण भारत के पंडितों के द्वारा वेद मंत्रों से अग्नि को शांति कर देवी देवताओं और भक्त गण अग्नि कुंड में प्रवेश करते हैं यह अग्नि कुंड का कार्यक्रम हर तीसरे वर्ष में किया जाता है अंतिम दिन 17 फरवरी को मां भद्रकाली का प्रसाद गुड और चावल को खीर के रूप में नए छोटे-छोटे मटको में पकवान बनाकर इन मटको को इसे फूल मालाओं से हल्दी कुमकुम से साज सज्जा कर मटको के ऊपर दिया जलाकर महिलाएं अपने सिर पर रखकर माता जी के मंदिर के चारों और भ्रमण करते हैं जिसे तेलुगु में बोनालू कहा जाता है इसके उपरांत माता जी को प्रसाद चढ़ाकर पूजा अर्चना कर मन्नते मांगते हैं बताया जाता है कि गुमरगोडा के शिवानंद बाबा जब जीवित थे अपने भक्तों के साथ मां भद्रकाली तक पैदल आते थे।
भद्रकाली मंदिर के बुजुर्ग पुजारी शिवाया ने बताया कि मेले में छत्तीसगढ़ के अलावा आंध्र प्रदेश तेलंगाना महाराष्ट्र के भक्तगण आकर माता जी का दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं इस मेले में इन तीन दिवस तक मेला समिति की ओर से आने वाले भक्तों को मुफ्त में भोजन की व्यवस्था किया जाता है।