जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव, 13 फरवरी। कृषि विज्ञान केन्द्र डुमरबहार में 11 फरवरी को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद - भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान अन्तर्गत, राष्ट्रीय बागवानी मेला का सीधा प्रसारण किसानों को दिखाया गया। जिसमें लगभग 70 कृषकों ने भाग लिया।
भारतीय अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने कृषकों को उद्यानिकी फसलों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां ऑनलाइन वर्चुअल रूप से लिंक के माध्यम से देते हुए उन्नत किस्मों के फल, फूल, एवं सब्जी वर्गीय पौधों की खेती कर अधिक आय अर्जित करने के विषय में विस्तार पूर्वक बताते हुए बागवानी फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया। फलदार पौधों के बारे में बताते हुए कहा कि सीताफल की अर्का नीलांचल किस्म में बीज कम होता है व मीठास अधिक होती है। दिसम्बर से मार्च के बीच एप्पलबेर को कटाई छटाई करनी चाहिए। नीबु की उन्नत किस्म पंतलेमन, असाम लेमन, खासी संतरा बीज रहित फसल है, जो मानसून के समय लगाने में उपयोगी है। टमाटर की किस्में - अर्का सम्राट, अर्का आदित्य, अर्का रक्षक 140 दिन की उन्नत किस्में है, जिसकी खेती कर किसान एक एकड़ में 5-6 लाख का मुनाफा कर सकता है। अर्का रक्षक किस्म से 15-20 किला/पौधे से प्राप्त किया जा सकता है। अर्का विशेष किस्म प्रसंस्करण के लिए उपयुक्त किस्म है। इसका पाउडर तथा केचप बनाकर संरक्षित कर सकते हैं, इस प्रकार अन्य सब्जी वर्गीय फसलों के उन्नत किस्मों के बारे में जानकारी दी गयी।
प्रसारण समाप्त होने के पश्चात् कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रमुख श्री राकेश कुमार भगत ने कृषि विज्ञान केन्द्र में संचालित हो रही विभिन्न गति विधियॉं जैसे- बीज उत्पादन, बटन मशरूम उत्पादन, कडकनाथ पालन, बटेरा पालन , पशु पालन एवं धान प्रसंस्करण के विषय पर व्याख्यान देते हुए कृषकों को प्रोत्साहित किया। प्रदीप कुमार कुजूर विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यानिकी) ने कृषकों को मातृवाटिका स्थापना करने के लिए पे्ररित किया, जिसमें उन्होने आम, अमरूद, नीबु, एप्पलबेर, काजू के पौधे से कलमी पौधा तैयार करने की तकनीक की जानकारी दी। चूंकि जशपुर जिला लीची, नाशपाती, काजूू, कटहल के लिये जाना जाता है। इनका उत्पादन भी काफी मात्रा में होता है, कृषक इनसे पौधा तैयार करके भी अतिरिक्त आमदनी प्राप्त कर सकते है।