राजनांदगांव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजनांदगांव, 24 जनवरी। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के इतिहास विभाग में प्राचार्य डॉ. बीएन मेश्राम के मार्गदर्शन में सुभाषचंद्र बोस की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर डॉ. संजय ठिसके ने सुभाषचंद्र बोस की जीवनी पर प्रकाश डालते कहा कि वे आईसीएस की परीक्षा देने इंग्लैंड गए थे और सफल भी हुए थे। डॉ. केएन प्रसाद ने कहा कि 1925 में बंगाल अराजक आदेश के अंतर्गत उन्हें मांडले जेल भेज दिया गया। जेल से छूटने पर वे रचनात्मक कार्यों में लग गए। उन्होंने खादी का प्रचार, छात्र युवक संघो का संगठन और राष्ट्रीय स्कूल एवं कॉलेजों की स्थापना का कार्य करने लगे। विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र सिंह ने कहा कि सुभाषचंद्र बोस एक वीर और साहसी पुरुष थे। उन्होंने आजाद हिंद फौज का संगठन कर अपार साहस और उत्साह का परिचय दिया। उन्होंने कठिन प्रयास से सिर्फ भारत में ही नहीं, बल्कि पूर्वी एशिया में समस्त भारतीयों में एक नवीन स्फूर्ति का संचार किया। कार्यक्रम का संचालन करते प्रो. हिरेंद्र बहादुर ठाकुर ने कहा कि उनकी यह धारणा थी कि भारत की स्वतंत्रता बाहय शक्तियों की सहायता और शस्त्र द्वारा ही प्राप्त हो सकता है।