धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 22 जनवरी। सब एक के लिये और एक सबके लिये के भाव के साथ समरसता भवन में प्राथमिक सहकारी समितियों के अध्यक्ष,प्रबंधक एवं संचालक मंडल के सदस्यों की एक दिवसीय सहकारी संगोष्ठी आयोजित की गयी। जिसमें वक्ताओं ने सहकारिता की उपयोगिता के संबंध में बताया।
मगरलोड जनपद अंतर्गत ग्राम भेण्डरी में आयोजित संगोष्ठी में प्राथमिक कृषि साख, दुग्ध सहकारी समिति भेण्डरी, बड़ी करेली तथा मछुवा सहकारी समिति हसदा, हरदी, दमकाडीह, के संचालकों को जिला सहकारी संघ धमतरी अध्यक्ष प्रवीण चंद्राकर ने बताया कि विश्व में सहकारिता सन्1865 मैनचेस्टर (इंगलैंड) में प्रारंभ होकर पूरे विश्व में फैल गयी, तब इसे पूंजीवाद के विकल्प के रूप में भी देखा गया था। अंग्रेजों ने 1904 में कानून बनाकर हिन्दुस्तान में लागू किया। क्योंकि किसान साहूकारों के कर्ज में फंसकर दिवालिया हो रहे थे। जिससें अंग्रेज सरकार को पूरी लगान नहीं मिल पा रही थी, इसलिये किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिये कृषिसाख सहकारी समितियों का गठन किया गया। 1913 में समितियों को फाइनेंस के लिये केन्द्रीय बैंक गठन किया गया, जो छ.ग. के रायपुर, दुर्ग, बिलासपुर, सरगुजा, जगदलपुर में संचालित है।
श्री चन्द्राकर ने कहा कि1960 में सहकारी सोसाइटी अधिनियम के रूप में प्रतिस्थापित हुआ और समय के साथ अनेंक परिवर्तन भी हुये, जिसके तहत उपभोक्ता, सोसाइटी, कृषिकर्म, संघीय, केन्द्रीय, गृहनिर्माण, विपणन, बहुप्रयोजन, उत्पादक, प्रसंस्करण, संसाधन, साधारण,औद्यौगिक, सेवाक्षेत्र सोसाइटी के रूप में विभाजित कर ज्यादा कारगर बनाया गया। सहकारिता को संविधानिक दर्जा देने के लिये संविधान का सतांनवे संशोधन अधिनियम12.1.2012 को लाया गया।
कार्यक्रम में सरपंच प्रीतराम देवांगन, चेतनलाल साहू ,शेखुराम साहू,खेमलता साहू,महेश निषाद,जीवन लाल, कपिल निषाद, लेखुराम, बृजलाल, कार्तिक साहू आदि उपस्थित थे।