कोरिया

जीवित रहते एसईसीएल कर्मी को नहीं मिली पेंशन, अब भटक रही पत्नी
20-Jan-2021 5:49 PM
जीवित रहते एसईसीएल कर्मी को नहीं  मिली पेंशन, अब भटक रही पत्नी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
मनेन्द्रगढ़, 20 जनवरी।
एसईसीएल में 36 साल तक ईमानदारीपूर्वक अपनी सेवा देने के बाद एक कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया और साल भर से भी अधिक समय तक अपनी पेंशन की प्रतीक्षा करते-करते उसका देहांत हो गया, लेकिन उसके जीवित रहते उसे पेंशन नहीं मिल सकी। अब उसके निधन के बाद उसकी पत्नी अपने पति के पेंशन के लिए दर-दर की ठोकरें खा रही है।

केंद्रीय चिकित्सालय मनेंद्रगढ़ में वाल्व मैन के पद पर पदस्थ तासु पिता शंकर 30 जून 2018 को सेवानिवृत्त हुए। नौकरी से सेवानिवृत्त होने के उपरांत पेंशन के लिए उनके द्वारा सारी औपचारिकताएं पूरी की गईं, लेकिन उनके जीवित रहते पेंशन प्राप्त नहीं हो सकी और पेंशन की प्रतीक्षा करते-करते 2 सितंबर 2019 को उनका निधन हो गया। एसईसीएल कर्मी तासु के निधन के बाद से उसकी 60 वर्षीया पत्नी पाना बाई जो विगत डेढ़ वर्षों से कैंसर से पीडि़त है और मूल रूप से गोरखपुर (उप्र) में निवास करती है, पेंशन के लिए परेशान है। सेवानिवृत्त दिवंगत एसईसीएल कर्मी की बेवा पिछले एक सप्ताह से गोरखपुर से यहां आकर पेंशन के लिए केंद्रीय चिकित्सालय कार्यालय का चक्कर काट रही है।

डॉक्टर की पत्नी को जीवित रहते पेंशन दिलाने में नाकाम रहा प्रबंधन
पेंशन के लिए परेशान हो रहे सेवानिवृत्त एसईसीएल कर्मचारियों का यह कोई पहला मामला नहीं है। इसके पूर्व केंद्रीय चिकित्सालय मनेंद्रगढ़ में पदस्थ रहे अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके सिंह रिटायर होकर पेंशन प्राप्त कर रहे थे। 14 अक्टूबर 2019 को उनका देहांत हो गया। इनकी पत्नी सरोज सिंह 15 अक्टूबर 2019 से लेकर 15 अक्टूबर 2020 तक पेंशन संबंधी समस्त औपचारिकताएं पूरी करने के पश्चात भी अपने जीवित रहते हुए पेंशन प्राप्त करने में असफल रहीं और उनका भी 15 अक्टूबर 2020 को निधन हो गया। इन्हें भी जीवित रहते हुए प्रबंधन पेंशन दिलाने में असफल रहा

कार्मिक विभाग को ठहराया जिम्मेदार
सेवानिवृत्त एसईसीएल कर्मी एवं समाजसेवी संस्था जन-जागृति मंडल के अध्यक्ष संतोष जैन ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी केंद्रीय चिकित्सालय मनेंद्रगढ़ को पत्र लिखकर पेंशन के लिए आ रही परेशानियों के लिए केंद्रीय चिकित्सालय कार्यालय के कार्मिक विभाग को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा सेंट्रल हॉस्पिटल मनेंद्रगढ़ में बाबुओं के पास शैक्षणिक योग्यता संबंधी प्रमाण पत्र न होने के कारण उन्हें ठीक से लिपिकीय कार्य करना नहीं आता है। 

यहां पदस्थ बाबू कार्यालयीन पत्रों को पंजीकृत डाक से संबंधित पते पर प्रेषित नहीं कर पाते हैं। सेंट्रल हॉस्प्टिल मनेंद्रगढ़ की आवक-जावक व्यवस्था तहस-नहस हो चुकी है जिसके कारण कर्मचारी ही नहीं अस्पताल का रूटीन वर्क भी प्रभावित हो रहा है। साथ ही उन्होंने कहा कि ठंडी, गर्मी, बरसात जीवनपर्यंत पूर्ण निष्ठा एवं समर्पणयुक्त सेवाएं प्रदान करने वाले कर्मचारी दिवंगत होने के बाद जब पेंशन के लिए जूझते अपनी पत्नी की वर्तमान हालत को देखते होंगे तो उन्हें भी पीड़ा होती होगी।

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