सुकमा
आदिवासी समाज ने निकाली रैली, सीएम के नाम सौंपा ज्ञापन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
सुकमा, 8 जनवरी। अनुसूचित क्षेत्र में धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए सख्त कानून बनाने व दर्ज सभी एफआईआर को शून्य घोषित करने की मांग करते हुए आज आदिवासी समाज ने विशाल रैली निकाल कर मुख्यमंत्री के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में उल्लेख है कि बस्तर संभाग अधिसूचित आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां के मूल निवासी पूर्णत: प्रकृति, पुरखा, पुनेम व रुढिज़न्य परंपरा प्रथाओं के द्वारा नियंत्रण व संचालित होते हैं। बस्तर में ईसाई मिशनरी संस्थाओं के प्रचारकों द्वारा मूल निवासी बस्तरिया समुदाय जो कि भोले-भाले व निरक्षर होते हंै, उन्हें बीमारियों व अन्य समस्याओं से मुक्ति दिलाने के नाम पर प्रलोभन देकर अपने धार्मिक क्रियाकलापों से शामिल कर मतान्तारित किया जा रहा है, और गांव-गांव में स्थानीय बेरोजगार युवकों को पास्टर व कार्यकर्ता बनाया जा रहा है, जिसके कारण परिवार व गांव में धार्मिक तनाव एवं कलह की स्थिति निर्मित हो रही है। इस असंवैधानिक धर्मांतरण का विरोध करने पर गांव के परंपरागत सियान पेरमा, गायता, पटेल, पुजारी, वडडे, सरपंच व अन्य समाज प्रमुखों के नाम पर थाने में झूठा व मनगढ़ंत एफआईआर करवाया जाता है। जिसके कारण स्थानीय मूल निवासी समुदाय में रोष है।
शुक्रवार को जिला सुकमा के साथ ही बस्तर संभाग के मूल निवासी समाज द्वारा एक दिवसीय आंदोलन व रैली निकाल कर जबरन धर्मांतरण पर रोक लगाने के लिए विशेष कानून बनाने तथा फर्जी (एफआईआर )को शून्य घोषित करने की मांग की और मुख्यमंत्री के नाम अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।