जशपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
पत्थलगांव जशपुर, 5 जनवरी। सम्वेदना और राष्ट्रीय कवि संगम के मंच पर कविता, गीत, गजलों को बिखरी सतरंगी छँटा, किसी ने हंसाया तो किसी ने कर दिया भाव विभोर, दमदार रचनाओं के सहारे सुखऩ की महफि़ल में चार चाँद लगाने कवियित्रियों ने भी।
जिला मुख्यालय के जिला पंचायत आडोटोरियम में शानदार काव्य गोष्ठी का आयोजन संवेदना फ़ाउंडेशन और राष्ट्रीय कवि संगम के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम में शिरकत करने जि़ले भर से आए कवि / कवयित्रियों ने अपनी दमदार रचनाओं के सहारे सुखऩ की महफि़ल में चार चाँद लगा दिया। पूरा ऑडिटोरियम दर्शकों से भरा रहा।
मुख्य अतिथि के रूप में कलेक्टर महादेव कांवरे व विशिष्ट अतिथि जिला पंचायत सीईओ मंडावी, डीएफओ कृष्ण जाधव उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन व ओजस्वी के द्वारा सम्वेदना के ध्येय गीत से किया गया। जिसके बाद विविध रसों में कविता, गीत और गजलों की बौछार हुई।
जहां पर गज़़लकार अनिल सिंह की इन पंक्तियों ने समाजिक सरोकार से जुड़े युवाओं को समर्पित करते हुए कहा कि ये कारवाँ वक़्त के साथ गुजऱ जाएगा, अकेला आया था तू अकेला ही जाएगा, ये ताजोतख्त अमानत हैं रैनबसेरे की, क्या करोगे इसका अगर मिल भी जाएगा..
वहीं पर छत्तीसगढ़ी के लोकप्रिय गीतकार मिलन मलरिहा जी की गीतों ने सबका दिल मोह लिया। उनकी एक गीत के बोल ने जशपुर की प्राकृतिक विशेषताओं को व्यक्त करते हुए भाव विभोर कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि खेत खारे तीर तीर, टपकत हे महुवा रे, चल चल बीने जाबो डोंगरी के पार.......।
वरिष्ठ कवि विश्वबंधु की हास्य कविता ने लोगों को खूब गुदगुदाया। शायर मनव्वर अशरफ़ी की शायरी का अंदाज़ लाजवाब रही जब उन्होंने कहा कि काम छोटा ही सही पर दिल से अंजाम देता हूँ, आमनों-चैन की ख़ातिर इश्क़ का पैगाम देता हूँ,
पत्थलगांव से आई सरिता लहरे माही ने बेटियों के दर्द को बयां करते हुए कहा कि तेरी गलियों की मिट्टी से मैं,
सपनों के महल बनाती थी। दूजे के घर जा के बाबुल, वो सपना क्यों तोड़ जाऊँ मैं। नए बनाने रिश्ते बाबुल, क्यों सारे नाते तोड़ जाऊँ मैं।
युवा कवि नीलकमल यादव ने पूरे राज्य की विशेषताओं को बयां करते हुए अपनी कविताओं में कहा कि
कवियों की धरती किसानों की माटी ए बीरों की भूमि जवानों की घाटी
सहज ही यहां कोई हो जाता अपना यहां आके देशी भी हो जाता खाटी, आओ कभी ऐसा मेरा छत्तीसगढ़...
शासन की योजनाओं पर सार्थक प्रकाश डालते हुए कवि राजेश जैन ने कहा कि शासन की योजना चली, नरवा गरवा घुरवा बाड़ी, गुरुआ भी हंसने लगे अब आई मेरी बारी बहुत अनाचार सह लिया अब ना सहेंगे मार मेरे दिन भी बदल गए जब से बनी भूपेश सरकार। कवि प्रफुल्ल ठाकुर ने जीवन की सार्थकता पर अभिव्यक्ति दी और कहा कि इंसान जब दुनियां में आता है, दोनों मु_ियां बंद करके आता है, क्या आप जानते हैं, इंसान उन बंद मु_ियों में क्या लेकर आता है ?
गीतांजली सिंह कवियत्री ने जशपुर की प्रकृति और मौसम को सहेजते हुए कहा कि
हाय। आयी मौसम इतराई ये शीत की रीत और ये शरद की हद,,ये मौसम मौसमानी..हाय जशपुर सुहानी!
बेटियों के संरक्षण पर वरिष्ठ कवि श्रीमती शुभा मिश्रा ने जिले की सामयिक घटना को इंगित करते हुए कहा कि इधर बेटी दिवस बेटी बचाव की ज्वलंत समस्या पर भाषण चल रहा था, उधर केरसई में पुलिस उठा रही थी खून, आलूदा मिट्टी, सनी देह...
कोमल हृदय कवियत्री अनिता गुप्ता ने मां की महिमा की बखान करते हुए अपनी पंक्तियों में कही की स्नेह शून्य संसार में एक ही प्रेम का धाम, सरल सहज ममतामयी मां है जिनका नाम...
वहीं युवा कवियत्री शैली मिश्रा ने लेखकों को संबोधित करते हुए कहा कि वो पल जी लो जिसकी तुम अपनी कल्पनाओं में गीले रंगों से तस्वीर बनाते हो।। युवा कवि पुष्पेंद्र शर्मा ने अपनी रचना में जशपुर की खासियत बताई और गीतों में कहा कि
ये जशपुर की माटी को मैं सलाम करता हूं,कि मैं जशपुरिया हूं कुछ जरा बखान हो जाए ,कि राहें जिंदगी में, कुछ जरा कलाम कहता हूं।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर जि़ला कलेक्टर श्री महादेव कावरे ने संबोधित करते हुए कहा कि इसप्रकार के कार्यक्रम होने चाहिये और वे ऐसे कार्यक्रम व साहित्य को बढ़ावा देने सदैव तत्पर रहेंगे।
कार्यक्रम में अनिकेत भारती, अनिल सिंह ‘अनल’, श्रीमति शुभा मिश्रा, श्रीमति अनीता गुप्ता, मनव्वर अशरफी, मिलन मलरिहा, राजेश जैन, पुषपेन्द्र शुक्ल, श्रीमति सरस्वती चौहान, श्रीमति रुखसार अशरफ़ी, सुश्री सरिता लहरे, सुश्री शैली मिश्रा, सुश्री गीतांजलि सिंह, मुकेश कुमार, प्रफुल्ल ठाकुर, अंकित गुप्ता, मो. वसीम ने अपनी रचनाएं पढ़ी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में नगरवासी शामिल हुए और कवियों ने तालियों बटोरी।