‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 16 अप्रैल। अक्षय तृतीया से पहले 15 अप्रैल को अधिकारियों ने एक बाल विवाह रोका गया।
लडक़ी धमतरी ब्लॉक की रहने वाली है। उसका विवाह गुरुर, बालोद में तय हुआ था। शादी की तारीख तय हो चुकी थी। कार्ड भी बांटे जा चुके थे। सात मई को बारात आने वाली थी। शादी समारोह शुरू होने से पहले महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला बाल संरक्षण टीम ने विवाह रुकवाया। टीम ने परिजनों को समझाया। लडक़ी के 18 साल पूरे होने के बाद ही शादी करने का शपथ पत्र भरवाया गया।
इस कार्रवाई में संरक्षण अधिकारी यशवंत बैस, विधिक सह परिवीक्षा अधिकारी प्रमोद अमृत, संरक्षण अधिकारी गैर संस्थागत राजीव गोस्वामी, चाइल्ड लाइन से नीलम साहू और मनीषा निषाद शामिल रहीं।
टीम ने लडक़ी के घर जाकर उसकी 5वीं कक्षा की मार्कशीट देखी। उसमें जन्मतिथि अगस्त 2008 दर्ज थी। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रिकॉर्ड में यह तारीख अगस्त 2007 पाई गई। दोनों रिकॉर्ड में जन्मतिथि अलग-अलग है। फिर भी दोनों के अनुसार लडक़ी नाबालिग है। एक रिकॉर्ड के अनुसार उसकी उम्र 18 साल होने में 4 महीने बाकी हैं। दूसरे रिकॉर्ड के अनुसार वह 18 साल की होने में एक साल चार महीने दूर है।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी आनंद पाठक ने बताया कि बाल विवाह की सूचना पर टीम पहुंची। उस समय परिजन शादी के कार्ड बांटने गए थे। टीम ने परिजनों को समझाया। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के नियम बताए। बताया कि बाल विवाह कराने पर शामिल लोगों पर कानूनी कार्रवाई होगी। इसमें 2 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। समझाइश के बाद परिजन 18 साल की उम्र पूरी होने के बाद ही शादी करने को राजी हो गए। लडक़े पक्ष को भी मोबाइल पर जानकारी दी गई।