घर-घर बोर से सूख रहा तालाब
टिकेश यादव
रायपुर, 25 मार्च। 35-37 डिग्री ये शुरूआती तापमान में ही शहर के तालाबों का जल स्तर नीचे गिरने लगा है। कई तालाब तो ऐसे जहां अब 20 प्रतिशत ही पानी बचा है। और जो बचा वो किसी के उपयोग में भी नहीं लाया जा सकता। ऐसा ही स्थिति कुशालपुर स्थित पहाड़ी तालाब की है ।लगभग 5 एकड़ में फैले इस तालाब लगभग 80 फीसदी सूख चुका है। और जो बचा वो गंदा मैला पानी ही रह गया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि, कुशालपुर स्थित ये तालाब पीढिय़ों पुराना है। जहां पहले इस तालाब का उपयोग रोजमर्रा के कामों के लिए करते थे। साल भर पानी की कमी नहीं होती थी। कभी सूखा हुआ तो वो भी आधा एक महीने तक ही रहता था। इस तालाब में बारीश का पानी सालभर रहता था। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलते गया। तालाब विकास,कब्जे के साथ पाटने की भेंट चढ़ गया। लोग तालाब के किनारे बसने लगे। बड़े और पक्के मकान और कालोनियां बन गई। इसके साथ ही कालोनियों के घर- घर में बोर खुदवा लिए गए। और तालाब का भू जल स्तर भी कम होने लगा। लगभग 50 सालों में तालाब का जल स्तर गिर गया।
इतिहास के पन्नों से सिमटते तालाब
तालाबों की नगरी कहे जाने वाले रायपुर में अब तालाबों का अस्तित्व खत्म होने की कगार पर है। इन तालाबों पर भू माफिया अपनी नजर बनाए हुए। कभी रायपुर को तालाबों का शहर कहा जाता था। जहां 150 से भी ज्यादा तालाब हुआ करते थे। लेकिन अब ये तालाब सिमट कर मात्र 54 ही रह गए है। इन तालाबों को पाट कर बड़े पॉश कालोनियां बन गई है। अब कुछ ही तालाब बचे हुए। जिन्हे निगम प्रसाशन की ओर से संरक्षण का प्रयास हो रहा है।
200 साल पुराना पहाड़ी तालाब
स्थानीय लोगों का मानना है कि कुशालपुर स्थित पहाड़ी तालाब का निर्माण लगभग 200 साल पुरना है। पहले कुशालपुर गांव हुआ करता था। जहां पर गांव के पास ही एक टीला हुआ करता था। जिसे बाद में राहगीरों और वहां रहने वाले लोगों की निस्तारी के लिए तालाब खुदवाया गया। वहां पर स्वयं भू महादेव भी था। इस कारण से वहां तालाब खुदवाया गया। ताकि वहां के लोगों के लिए आस्था के साथ जीवन व्यापन के काम भी आ सके।
करोड़ों खर्च कर कराया गहरीकरण, सूख गया
सालभर पहले ही निगम ने करोड़ों खर्च कर कराया तालाब का सौंदर्यीकरण,गहरीकरण का काम फिर भी सूख गया तालाब। अब बोरवेल्स की सहायता से तालाब भरने का प्रयास किया जा रहा ।