‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
प्रतापपुर,19 मार्च। एक तरफ जहां मां महामाया शक्कर कारखाना निजीकरण की कगार पर खड़ा है, वहीं दूसरी ओर जिले में अवैध खांडसारी गुड़ फैक्ट्रियों का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। हैरानी की बात यह है कि इस गोरखधंधे की जानकारी होने के बावजूद प्रशासन आंख मूंदे बैठा है। यह अवैध कारोबार सरकार को हर साल हजारों करोड़ के राजस्व का नुकसान पहुंचा रहा है।
सूरजपुर जिले के प्रतापपुर, मोहनपुर, तुलसी, बोझा, चाची, दुप्पी गोटगावा, सीधमा, कल्याणपुर, सिलौटा समेत 50 से अधिक स्थानों पर अवैध खांडसारी गुड़ फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। किसान तेजी से अपने गन्ने को शक्कर कारखाने में भेजने के बजाय इन अवैध फैक्ट्रियों में बेच रहे हैं, जिससे सरकारी शक्कर कारखाने का उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
इन अवैध फैक्ट्रियों का संचालन कोई छिपी हुई बात नहीं है, लेकिन कार्रवाई न होने से स्पष्ट है कि अधिकारियों और कारोबारियों के बीच मोटे पैसों का खेल चल रहा है। सूत्रों के मुताबिक, हर महीने लाखों रुपए का लेनदेन किया जाता है, जिससे यह अवैध कारोबार प्रशासन की नजरों में होते हुए भी बेरोकटोक जारी है।
शक्कर कारखाने के
भविष्य पर खतरा
कभी पूरे छत्तीसगढ़ में अपनी बेहतरीन गुणवत्ता के लिए मशहूर मां महामाया शक्कर कारखाना अब बंद होने की कगार पर पहुंच चुका है। गन्ने की कमी के कारण उत्पादन क्षमता बेहद कम हो गई है, जिससे फैक्ट्री लगातार घाटे में जा रही है। अगर हालात नहीं सुधरे, तो आने वाले समय में यह कारखाना पूरी तरह बंद हो सकता है, जिससे हजारों लोगों की आजीविका पर संकट आ जाएगा।
जल्द ही कलेक्टर से मिलकर छापेमारी की अनुशंसा करेंगे-एमडी
इस मामले में मां महामाया शक्कर कारखाने के एमडी आकाशदीप पात्रो ने कहा -हमने प्रशासन से कई बार शिकायत की है। जल्द ही कलेक्टर से मिलकर छापेमारी की अनुशंसा करेंगे। अवैध गुड़ फैक्ट्रियों पर कार्रवाई होगी। वहीं एसडीएम ललिता भगत ने कहा कि अवैध फैक्ट्रियों पर सख्त कार्रवाई के लिए विशेष टीम गठित की जा रही है। जल्द ही छापेमारी शुरू होगी।