‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 17 मार्च। मार्च में गर्मी ने अभी पूरी तरह से अपना असर नहीं दिखाया है, लेकिन कोण्डागांव जिले के विभिन्न क्षेत्रों में लो वोल्टेज और पावर कट की समस्या ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इसी समस्या को लेकर 17 मार्च को विकासखंड बड़ेराजपुर, विकासखंड कोण्डागांव और विकासखंड माकड़ी से हजारों किसान कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। किसानों का कहना है कि रवि फसल की बुवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन सिंचाई के लिए उन्हें पर्याप्त बिजली नहीं मिल रही है। लो वोल्टेज और लगातार बिजली कटौती के कारण खेतों में सूखे की स्थिति बन गई है, जिससे वे फसल की सिंचाई नहीं कर पा रहे हैं।
कलेक्टर कार्यालय पहुंचे किसानों ने बताया कि उनके गांवों में लो वोल्टेज और बिजली कटौती की समस्या लंबे समय से बनी हुई है, लेकिन गर्मी शुरू होते ही स्थिति और खराब हो गई है। जनपद पंचायत माकड़ी के गारे, बालोंड, काटागांव, उदेंगा, ओंडरी, बुडरा, जनपद पंचायत कोण्डागांव के चिपावंड, बफना, नेवता, भीरावंड, भगदेवा, नीलजी, उमरगांव और जनपद पंचायत बड़ेराजपुर के हरवेल, बालेंगा, किबड़ा, धामनपुरी, सरईपारा से पहुंचे किसानों ने कहा कि वे मक्का, सब्जी और अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं, लेकिन सिंचाई के लिए बिजली नहीं मिलने से उनकी फसलें सूखने की कगार पर हैं।
महिलाओं ने बताया कि बिजली संकट के कारण पेयजल की भी गंभीर समस्या हो रही है। उन्हें रात 2 से 3 बजे के बीच बोरवेल से पानी भरने जाना पड़ता है, क्योंकि दिन में पानी उपलब्ध नहीं होता। वहीं, स्कूली बच्चों की परीक्षाएं चल रही हैं, लेकिन लो वोल्टेज के कारण वे पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, जबकि बुजुर्गों को गर्मी में पंखे न चलने से भारी परेशानी हो रही है।
इस संबंध में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कंपनी के कार्यपालन अभियंता आरएल सिंहा ने कहा कि पहले पंप और घरेलू कनेक्शन एक ही लाइन में थे, लेकिन अब इन्हें अलग-अलग करने की प्रक्रिया जारी है। जिले में तीन नए सब-स्टेशन बनाए जा रहे हैं, जिससे लो वोल्टेज और पावर कट की समस्या का स्थायी समाधान हो सकेगा। उन्होंने बताया कि जिले के 350 ट्रांसफार्मरों में संत कैपेसिटर लगाए गए हैं, जिससे लो वोल्टेज वाले ट्रांसफार्मर को बूस्ट करने में मदद मिलेगी।
किसानों से संयम बनाए रखने की अपील करते हुए सिंहा ने कहा कि बिजली विभाग सुधार कार्यों में लगातार लगा हुआ है और जल्द ही स्थिति में सुधार किया जाएगा। लेकिन जब तक नए सब-स्टेशन पूरी तरह तैयार नहीं हो जाते, किसानों को कुछ समय तक इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।—-