‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भाटापारा, 17 मार्च। बहुजन आन्दोलन पार्टी छत्तीसगढ़ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू अली ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि छत्तीसगढ़ की सभी फैक्ट्रीयों में आग, करंट या फिर अन्य हादसों से लगातार श्रमिकों की जान जा रही है। अधिकतर मामलों में फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही सामने आती है।
फैक्ट्री में पहले भी कई बार कभी रसोई तो कभी शार्ट सर्किट से आगजनी की घटनाएं हुई, लेकिन नजर अंदाज करते रहे। इसी तरह फैक्ट्रीयों में बिल्डिंग नियम अनुसार नहीं बनी है फिर भी नक्शे पास हो जाते है। श्रम विभाग के पास श्रमिकों का पूरा रिकॉर्ड नहीं है।
सेफ्टी एवं अग्निशमन डिपार्टमेंट सर्वें करते है और खामियों पर खामोश हो जाते है। हादसे होते है और मामले की जांच भी की जाती है। मजदूरों के परिजनों से फैक्ट्री मालिक समझौता कर लेते है या फिर बिना ठोस कार्यवाही के फ़ाइल बंद हो जाती है। पिछले 5 वर्षों से फैक्ट्री संचालकों की लापरवाही के चलते हर वर्ष औसतन कई मजदूरों की जान गई है। रायपुर जिले 2 हजार के करीब उद्योग है। इनमे 25 हजार के करीब श्रमिक है। लेकिन बिना रिकॉर्ड के 50 हजार से अधिक श्रमिक भी है। इसके बावजूद विभिन्न रिहायशी व बाहरी क्षेत्रों में फैक्ट्रियां चल रही हैं। जिला प्रशासन के पास न तो सभी फैक्ट्रियों का ही रजिस्ट्रेशन है और न ही पुरी तरह मजदूरों के कार्ड बने हुए है। फैक्ट्री संचालकों को नियम पूरे करने के लिए प्रशासन की तरफ से कभी कोई सख्ताई नहीं की जाती।
क्या कहता है कानून
सामाजिक श्रमिक सुरक्षा योजना के तहत फैक्ट्री में दुर्घटना में मौत पर 5 लाख रुपए और घायल को उसके घायल होने की प्रतिशतता के आधार पर सरकार मुआवजा देती है। फैक्ट्री मालिकों को भी मुआवजा देना होगा जोकि कर्मचारी की उम्र और उसकी सैलरी के हिसाब से देना होता है।
इसके अलावा ईपीएफ व बीमा आदी से भी राशि उपलब्ध होती है। दुर्घटना किसी की गलती से भी हुई हो फैक्ट्री एक्ट के तहत जुर्माना फैक्ट्री मालिक को ही भुगतान होगी।
रिहायशी क्षेत्र में कोई फैक्ट्री नहीं चला सकते। फैक्ट्री के लिए एनओसी होनी जरूरी है और फैक्ट्री के अंदर आग नियंत्रण संबंधी यंत्र होने चाहिए।