‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद,13मार्च। महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति केवल कागजों तक ही सीमित रह गई है। महासमुंद जिले में कृषि विभाग द्वारा सरकार के जीरो टॉलरेंस नीति को ठेंगा दिखाते हुए अधिकारों से परे जाकर बिना वित्त विभाग की अनुमति, बिना किसी दर निर्धारण के विभिन्न माध्यमों से बिना नियम प्रकिया के बीज एवं कृषि उपकरण सामग्रियों की खरीदी अत्यधिक दर पर किया जा रहा है। विभागीय अधिकारी करोड़ों के भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।
श्री चंद्राकर ने कहा कि जब-जब भाजपा की सरकार प्रदेश में आई, तब-तब बड़े-बड़े भ्रष्टाचार के मामले सामने आती रही है। इससे पूर्व 15 वर्ष के रमन सरकार में नान घोटाला, डीकेएस घोटाला, अगुस्ता घोटाला, पनामा पेपर, अंतागढ़, पुष्प स्टील, भटगांव कोल घोटाला, मोबाइल खरीदी घोटाला, स्काई वॉक घोटाला, इंदिरा प्रियदर्शनी बैंक घोटाला, चिटफंड घोटाला, रतनजोत घोटाला जैसे अनेक मामले सामने आए थे। वर्तमान भाजपा की साय सरकार में पूरे प्रदेश में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। इससे महासमुंद जिला भी अछूता नहीं है। यहां कृषि विभाग में बेधडक़ करोड़ों का भ्रष्टाचार किया जा रहा है। श्री चंद्राकर ने कहा कि जिला स्तरीय अधिकारियों को बीज खरीदी करने का वित्तीय अधिकार प्रदत्त नहीं है। जिला अधिकारी द्वारा एक ही वित्तीय वर्ष में एक प्रकार के है। लेकिन यहां अधिकारियों द्वारा कई तरह के बीजों को क्रय कर आर्थिक लाभ अर्जित किये गये हैं। बीज निगम को सी बीड जेल एवं उसके समकक्ष उत्पादकों की दर निर्धारण किये जाने हेतु अधिकारियों की समिति बनाई गई है।
समिति द्वारा क्या अनुशंसा की गई हैए उसे सार्वजनिक न कर जिला अधिकारियों को मनमाने तरीके से भ्रष्टाचार करने के लिये छूट प्रदान कृषि विभाग द्वारा किया गया है।
तकनीकी समिति के अधिकारियों द्वारा क्रय किये जाने की अनुशंसा जो अधिकार से बाहर थी। उसके विरूद्ध शिकायत की गई है। लेकिन कोई कार्रवाई विभाग द्वारा नहीं किए जाने से भ्रष्टाचार का बढ़ावा मिल रहा है। इसी तरह वर्ष 2021 से 2024 तक जैविक खेती मिशन योजना के तहत जिला महासमुंद अंतर्गत आने वाले विकासखंडों के विभिन्न ग्रामों का चयन किया गया है। जिसमें संचालनालय कृषि द्वारा कृषकों को जो घटक उपलब्ध कराया जाना है, उससे हटकर अधिकारियों द्वारा कमीशन के लिए बैटरी चलित स्पेयर किसानों को जबरदस्ती अधिक दर पर लेने हेतु बाध्य किया जा रहा है। जबकि इस योजनांतर्गत बैटरी चलित स्पेयर देने का आदेश में उल्लेख नहीं है। संचालनालय कृषि द्वारा जो उपकरण घटक में उल्लेखित हैं, उन्हें कृषकों को प्रदाय नहीं किया जा रहा है। क्योंकि जो घटक व सामग्री प्रदाय किया जाना है। उन्हें क्रय करने से कमीशन नहीं मिलेगी। इसलिये इन सामग्रियों का वितरण नहीं किया जा रहा है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन जीरो टॉलरेंस की बात करती है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। एक ही जिले में एक ही विभाग द्वारा अधिकारों से हटकर, संचालनालय के निर्देशों की अवहेलना कर विभाग के अधिकारी जिन सामग्रियों में कमीशन अत्यधिक है, उन उपकरणों को नियम विरूद्ध क्रय कर आर्थिक लाभ अर्जित कर रहे हैं। इसकी सूक्ष्म जांच से करोड़ों के भ्रष्टाचार उजागार होगा। श्री चंद्राकर ने विभाग द्वारा क्रय किए गए सामग्रियों के क्रय दर एवं अधिकार की जांच कराये जाने की मांग की है।