महापौर का चुनाव ऐतिहासिक वोटों से भाजपा जीती, 33 वार्डों में खिला कमल, कांग्रेस सिमटी 12 में
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायगढ़, 16 फरवरी। भाजपा की सुनामी में कांग्रेस का रायगढ़ नगर निगम से सूपड़ा साफ हो गया है। प्रभात साहू को छोडक़र कांग्रेस के दिग्गज पार्षदों ने अपना वार्ड बचा लिया और 48 वार्डों में सिर्फ 12 पर सिमट गई। वार्ड 28 से कांग्रेसी प्रत्याशी अक्षय कुलदीप ने बड़ा उलटफेर करते हुए भाजपा के दिग्गज पार्षद और इस बार के सभापति के रेस में अव्वल कौशलेष मिश्रा को महज 2 वोटों से हरा दिया।
वार्ड 21 से भाजपा से टिकट कटने के बाद निर्दलीय लड़ रहे अजय शंकर मिश्रा ने संगठन को जीत कर करारा जवाब दिया है। वार्ड 8 से कांग्रेस की दमदार पार्षद रूकमणी साहू और 5 से दिग्गज नेता दयाराम धुर्वे भी चुनाव हार गए। 31 नंबर वार्ड से युवा त्रिनिशा चैहान ने भाजपा से जीत दर्ज की।
महापौर पद के लिए भाजपा प्रत्याशी जीवर्धन चौहान को 56311, कांग्रेस की जानकी काटजू को 21946 वोट मिला। इस तरह 34 हजार 365 वोटों से भाजपा ने इसे जीतकर इसे एकतरफा बना दिया। आप पार्टी की स्थिति बुरी रही जिसे 588 और सिरील को 753 वोट मिले। जेठूराम मनहर को 4271 वोट और लीलाधर खूंटे को 2383 वेट मिले।
भाजपा को मिले इस ऐतिहासिक जीत से पूरे शहर में भाजपाई त्यौहार मना रहे हैं। वार्ड-वार्ड विजय जुलूस निकाल रहे। पटाखे फोड़ रहे।
अपनी जीत पर जीवर्धन चौहान ने कहा कि लोगों के आशीर्वाद और भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत और ओपी भैय्या के मार्गदर्शन में चलने के कारण ही उन्हें इतनी बड़ी जीत है। डबल इंजन की सरकार अब ट्रिपल इंजन की हो गई है। साय सरकार के रायगढ़ शहर के विकास के सपने को मिलकर साकार करना है। रायगढ़ के विकास में लगातार कार्य करना है।
वित्त मंत्री व रायगढ़ विधायक ओपी चौधरी जो नगरीय निकाय चुनाव के संचालक थे उन्होंने इस जीत पर कहा कि भाजपा के प्रति लोगों का स्नेह और आशीर्वाद ही उनकी ताकत है। पार्टी रीत-नीति लोकहित में और जनता हमारे विकास कार्य देख रही है। हम जनता के लिए समर्पित है और जनता उसके बदले अपना आशीष देती है। कांग्रेस पर ऐतिहासिक जीत पर ओपी ने कहा कि कांग्रेस डूबती हुई नैय्या है इसके पास न तो कोई विजन है और न ही मिशन। जैसा हमने नगरीय निकाय में प्रदर्शन किया वैसा ठीक आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भी होगा।
भाजपा जिलाध्यक्ष अरूणधर दीवान ने 33 सीटों पर पार्षद और महापौर पद भाजपा को जिताने पर सभी लोगों का आभार प्रकट किया और इस जीत को हर एक कार्यकर्ता की जीत बताई। सभापति के लिए कौन-कौन रेस में के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी जीते 33 पार्षद सभापति की रेस में हैं। इसके लिए सभी के बीच मंथन होगा और जिसके नाम पर सहमति होगी वही हमारा सभापति होगा।
विदित हो कि बहुमत से कहीं अधिक करीब 70 फीसदी सीटों पर भाजपा है अब सभापति के चयन के लिए चुनाव होगा या फिर कांग्रेस वॉक ओवर दे देती है यह आने वाला समय बताएगा।
भीतरघात नहीं आया काम
भाजपा के लिए वार्ड 19 और 16 इस बार कठिन हो गया था जहां कुछ भाजपाईयों ने टिकट वितरण से नाराज संगठन को सबक सिखाने के लिए अपने ही उम्मीदवार को हराने के लिए भीतरघात किया। इस बात को उम्मीदवार भी जानते थे कि उनके साथ कथित दिग्गज छल कर रहे हैं। एकाध मौके पर बड़े नेताओं ने समझाने का प्रयास तो किया पर असफल रहे। इस कारण दोनों वार्ड भाजपा का गढ़ होने के बाद भी यहां के प्रत्याशी पशोपेश में थे लेकिन जब आज नतीजे आए तो सभी चौंक गए। सुरेश गोयल और अशोक यादव दोनों ने ही अपने वार्ड जीते। जब जीते तो सबसे पहले बधाई देने वाले वही लोग थे जो यह होने नहीं देना चाहते थे।
सभापति के कई नाम, मच सकता है कोहराम
महापौर और पार्षद चुनाव सोज्झे जीतने वाली भाजपा में अब सभापति को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है। संगठन की पहली पसंद कौशलेश मिश्रा पार्षदी हार चुके हैं। सुरेश गोयल, पंकज कंकरवाल, डिग्री साहू, पूनम सोलंकी, अशोक यादव, महेश शुक्ला जैसे कुछ नाम सामने आ रहे हैं। महेश शुक्ला भले ही पार्षद चुनाव जीत जाते हों पर उनकी छवि के कारण संगठन शायद तवज्जो दे। पूनम सोलंकी के दावे को खारिज अनुभव के नाम पर किया जा सकता है। पंकज 5 बार से लगातार जीत रहे हैं और नेता प्रतिपक्ष भी रह चुक हैं, सुरेश गोयल पूर्व में सभापति रह चुके हैं। अगर सुरेश को पार्टी पार्षदी तक रोकती है तो स्पष्ट है कि वर्ग विशेष के वोटर्स में छोटे चुनाव (जहां चेहरे काम करते हैं) में वह पार्टी के लिए चेहरा बने क्योंकि उनका वार्ड तो बड़े चुनावों में भाजपा का गढ़ बन जाता है।
अशोक यादव दावा करेंगे तो उनके खिलाफ वही शक्तियां कार्य करेंगी जो पार्षदी में कर रहीं थी वहां हारने वाले यहां बदला ले सकते हैं क्योंकि यहां लोग नहीं, उनकी चलेगी।
कांग्रेस संगठन धराशायी, अपने बूते जीते पार्षद
बीते नगरीय निकाय चुनाव में 26 पार्षदों वाली कांग्रेस को इस बार 12 में ही संतोष करना पड़ा है। ये 12 पार्षद भी जो जीते हैं वो अपने दम पर जीते हैं इसमें संगठन का सहयोग ना के बराबर दिखता है। कांग्रेस संगठन धराशाही हो चुकी है, उसकी गुटबाजी खुलकर सामने आई। इस पूरे चुनाव में एक दो बड़े नेता मुंह दिखाकर चले गए। कोई भी जिम्मेदार नेता ने खड़े होकर चुनाव नहीं करवाया, जिस पर प्रभार था वह बाहर था। इसी तरह महापौर प्रत्याशी को कांग्रेस संगठन ने अकेला छोड़ दिया था।
पार्टी शायद पहले ही अपनी हार मान चुकी थी लेकिन उनकी प्रत्याशी आखिरी पल तक अपने लिए कार्य करती रही। मतगणना में भी कांग्रेस संगठन के कुछ ही चेहरे दिखे जो हमेशा कार्यालय में इस चुनाव में मोर्चा संभाले थे।
जीत के बाद नब्बू ने निकाला विजय जुलूस, घर-घर जाकर लिया आशीर्वाद
निकाय चुनाव में भाजपा ने रायगढ़ नगर निगम में भगवा परचम लहरा दिया है। इस बार के चुनाव में भाजपा से रिकार्ड 33 पार्षद चुनकर नगर निगम में पहुंचे हैं। जिनमें से वार्ड नं. 10 के पार्षद नब्बू उर्फ नवाब खान ने वार्ड में जीत के बाद विजय जुलूस निकाला और बाजे-गाजे व आतिशबाजी के बीच घर-घर जाकर अपने वार्ड के लोगों से आशीर्वाद लिया।