‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 16 फरवरी। नगर सरकार के लिए जनता ने इस बार किसी भी दल को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया है। भाजपा की अध्यक्ष प्रत्याशी ज्योति चन्द्राकर खुद की लड़ाई जीत गईं, लेकिन उनके आधे से ज्यादा पार्षदों को हार का सामना करना पड़ा। जबकि कांग्रेस का सेनापति तपन चन्द्राकर हारे, लेकिन उनके 9 सैनिक पार्षद का चुनाव जीत गए। ईवीएम से निकले परिणाम को देख लगता है कि लोगों ने दल को नहीं व्यक्तित्व को जिताया है। लोकप्रियता के शिखर पर बैठे अध्यक्ष पद के कांग्रेसी उम्मीदवार को भाजपा की महिला प्रत्याशी ने नारी शक्ति के दम पर हरा दिया।
गौरतलब है कि 15 फरवरी को आए नगर पंचायत चुनाव परिणाम न तुम हारे न हम जीते जैसे रहा। तकनीकी आधार पर यहाँ भाजपा की अध्यक्ष प्रत्याशी चुनाव जीत गई। लेकिन उन्हें सरकार चलाने लायक जरुरी पार्षदों का साथ नहीं मिला है। कांटे की टक्कर वाले इस चुनाव में ज्योति चन्द्राकर को नगर से कुल 4594 वोट मिले। जिसमें से 615 मत उन 5 वार्डों से मिले जहाँ से भाजपा पार्षद जीते इसमें से वार्ड क्रमांक 8 अपवाद रहा जहाँ पार्षद तो जीत गया पर अध्यक्ष के लिए 85 वोट कम मिले हैं।
आश्चर्य की बात यह है कि ज्योति को वार्ड 3-7 और 15 जहाँ से कांग्रेस पार्षद जीतकर आए हैं वहां से भी 182 वोटों की निर्णायक बढ़त मिली। इससे लगता है कि चुनाव में क्रास वोटिंग का खेल भी जमकर चला है। दूसरी ओर कांग्रेस के अध्यक्ष प्रत्याशी तपन चन्द्राकर को कुल 4333 वोट मिले। हालांकि पार्टी के 9 पार्षद जीते हैं पर अध्यक्ष के लिए 6 वार्डों से महज़ 464 मतों की लीड मिली। वार्ड क्रमांक 8 जहाँ से पिछले बार जीतकर नपं अध्यक्ष बने तपन ने इस बार भी 85 मतों की बढ़त बनाई है। यह अलग बात है कि यह वार्ड भाजपा के खाते में चला गया है।
दूसरी उल्लेखनीय बात यह है कि तपन चन्द्राकर को अपने गृह वार्ड क्रमांक 12 में मात्र 78 वोटों की बढ़त मिली। पर इसी वार्ड से उनकी पत्नी राखी चन्द्राकर 150 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव जीती है। शायद इसे ही चिराग तले अँधेरा कहा जा सकता है।
कांग्रेस प्रत्याशी की हार में आम आदमी पार्टी और एक निर्दलीय उम्मीदवार की भूमिका हो सकती है। क्योंकि दोनों को मिले मतों की संख्या 237 है। नगर सत्ता के लिए मिले जनादेश को लेकर लोगों की प्रतिक्रिया को रेखांकित किया जाए तो इसे किसी भी पार्टी के पक्ष या विरोध में नहीं माना जा रहा है। मतदाताओं ने दलों की बातों को अनदेखा कर व्यक्तित्व के आधार पर अपनी पसंद का नेता चुना है।
नपं अध्यक्ष रहे तपन चन्द्राकर ने करोनाकाल से लेकर अब तक सादगी, सरलता और दिलेरी के साथ जनसेवा की विशिष्ट शैली ईजाद कर सार्वजनिक जीवन में रहने वाले लोगों को एक नई दिशा दिखाई है। अकेले दम पर सत्तापक्ष के एम्पायर से लडकर भले ही तपन चुनाव हार गए लेकिन वें लोगों का दिल जितने में सफल रहे हैं।
विधानसभा और लोकसभा चुनाव में नगर से अच्छी खासी लीड लेने वाली भाजपा को नगर पंचायत के चुनाव में मोदी गारंटी, विष्णु सुशासन और अजय विकास के लुभावने दावों के साथ पुरी ताकत झोंकनी पड़ गई।
विधायक अजय चन्द्राकर ने जीत का वरण करने कई समाजिक बैठकें और अंत में जनसभा भी की, फिर भी परिणाम खंडित ही रहा।
चुनाव पुर्व जमीनी हकीकत से वाकिफ भाजपा के रणनीतिकारों ने काफी सोच विचार के बाद अध्यक्ष पद के लिए ज्योति चन्द्राकर को मैदान में उतारा था। नारी शक्तियों की बदौलत नगर में सत्तापक्ष ने अपनी लाज बचा तो ली है। पर इन चुनावी परिणामों ने भाजपा नेताओं को आत्ममंथन का एक मौका दिया है। अब भी नही सम्हले तो आगे कुछ भी हो सकता है।