‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 10 फरवरी। शासकीय गुण्डाधुर स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोण्डागांव में इतिहास विभाग द्वारा भूमकाल दिवस के अवसर पर अमर शहीद वीर गुण्डाधुर और बस्तर के वीर नायकों पर ऐतिहासिक विमर्श विषय पर एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में शासकीय काकतीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, जगदलपुर के इतिहास विभागाध्यक्ष चंद्र प्रकाश यादव उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. चेतन राम पटेल द्वारा स्वागत उद्बोधन से हुआ, जिसमें उन्होंने संगोष्ठी के उद्देश्य और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रही समाजशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. किरण नूरूटी ने कहा कि बस्तर के स्वतंत्रता संग्राम में 1857 से लेकर आजादी तक 10 जननायकों ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने बस्तरवासियों के संघर्ष और बलिदान की विरासत को रेखांकित करते हुए कहा कि शोषण और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना इस क्षेत्र की परंपरा रही है।
मुख्य वक्ता सीपी यादव ने अपने उद्बोधन में स्वतंत्रता संग्राम, बंगाल विभाजन, स्वदेशी आंदोलन और इनमें छत्तीसगढ़ एवं बस्तर के जननायकों की भूमिका पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि 1910 का भूमकाल विद्रोह जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए लड़ा गया था, जिसे सभी वर्गों और समुदायों का समर्थन प्राप्त था।
संगोष्ठी का संचालन नसीर अहमद ने किया, जबकि इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. पुरोहित कुमार सोरी ने आभार प्रदर्शन करते हुए वीर गुण्डाधुर सहित सभी शहीदों के योगदान को स्मरण किया। उन्होंने बताया कि महाविद्यालय में इस प्रकार के ऐतिहासिक विषयों पर संगोष्ठियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता रहा है।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक शोभाराम यादव, शशिभूषण कन्नौजे, रूपा सोरी, डॉ. अलका शुक्ला, डॉ. देवाशीष हालदार, नेहा बंजारे, आकाश वासनीकर, अर्जुन सिंह नेताम, समलेश पोटाई, लोचन सिंह वर्मा सहित अन्य अतिथि व्याख्याता, प्रयोगशाला तकनीशियन, महाविद्यालय का अन्य स्टाफ तथा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।