‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
नवापारा राजिम, 10 फरवरी। राजिम कुम्भ कल्प प्रसिद्ध मेला 12 फरवरी से प्रारंभ होने जा रहा है। जो लगातार 15 दिनों तक चलेगा। यह मेला माघ पूर्णिमा को भगवान श्री राजीव लोचन के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में भरता है। लाखों लाख श्रद्धालु बहुत ही उत्साह के वातावरण में भगवान के जन्मदिन को खुशियों के साथ मनाते हैं. छत्तीसगढ़ के कोने-कोने से पहुंचे श्रद्धालु सबसे पहले तीन नदियों के संगम में पवित्र स्नान करेंगे और यहां से मंदिर पहुंचेंगे।
मंदिर का पट माघ पूर्णिमा को सुबह 4 बजे खुल जाएगा। भगवान का विशेष श्रृंगार होगा, फिर दर्शनार्थियों के लिए पूजा और दर्शन करने का यह सिलसिला देर रात तक जारी रहता है। मंदिर परिसर में पुलिस के चाकचौबंंद व्यवस्था रहेगी।इस बार राजिम का यह कुंभ कल्प मेला चौबेबांधा मार्ग पर 54 एकड़ आरक्षित मैदान पर होने जा रहा है।
मेले की सारी तैयारी पूर्णता की ओर अग्रसर है,नया मेला मैदान में पहुंचने के लिए पांच रास्ते हैं।इसमें सबसे पहले रास्ता राजिम के थानापारा होते हुए पहुंचा जा सकता है,दूसरा रास्ता नदी के किनारे से और तीसरा बड़ा रास्ता राजिम गरियाबंद मार्ग पर साई मंदिर के पास से सीधा सडक़ नया मेला मैदान को गया है,चौथा बड़ा रास्ता रायपुर धमतरी कुरूद नवापारा की ओर से नवागांव परसवानी पुल को पार कर मेला स्थल पहुंच सकते हैं।
पांचवा रास्ता गरियाबंद मार्ग पर ग्राम सिंधौरी चौबेबांधा से है,चुकि यह रास्ता सिंगल सडक़ है इसे ग्रामीण सडक़ कह सकते हैं।कोपरा सुरसाबांधा,श्याम नगर और आसपास के ढेर सारे गांव के लोग इस शार्टकट रास्ते से पहुंच सकते हैं,इस मार्ग पर लाईटिंग की जरूरत है।यह मार्ग बमुश्किल 3 किलोमीटर पड़ेगा जो काफी आसान है। पार्किंग की समस्या भी इस बार उतना ज्यादा नहीं रहेगा क्योंकि इन पांचों मार्ग पर गाडिय़ों को पार्किंग की जा सकती है मेला स्थल शहर से थोड़ा दूर होने के कारण सुरक्षा व्यवस्था भी काफी पुख्ता रखना पड़ेगा। मेले की भीड़ इस बार बंटा हुआ है नजर आएगा जिसमें सहूलियत होगी प्रशासन को एक बात और ध्यान देना पड़ेगा वह यह की रायपुर गरियाबंद मार्ग पर चलने वाली यात्री गाडिय़ों एवं मालवाहक वाहन चौबेबांधा मोड़ से लेकर नवापारा कुर्रा गांव तक व्यवस्था बनानी होगी।
शंकराचार्य सहित पहुंचेंगे साधु संत
राजिम की का यह कुंभ कल्प मेला अब पूरे देश और दुनिया में ख्याति प्राप्त कर चुका है या हर साल लगने वाला मिला है भगवान शंकराचार्य सहित कई हजारों की संख्या में देश के विभिन्न प्रांतों से साधु संत,महंत, महामंडलेश्वर,अखाड़े से लोग स्थान बाबा पहुंचते हैं।उनके चरण पढऩे से राजिम के पावन भूमि का महत्व और भी काफी बढ़ जाता है। पूरे प्रदेश पूरे 15 दिनों तक कई लाखों की संख्या में श्रद्धालु और सैलानी यहां पहुंचकर साधु संतों की प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आनंद लेते हैं।