‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 8 फऱवरी। सिमगा ब्लॉक स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक उत्कृष्ट विद्यालय सुहेला में विद्यार्थियों और शिक्षकों को बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।
स्कूल में पानी, शिक्षक, शौचालय में साफ सफाई की कमी देखी जा रही है, वहीं स्वच्छता के लिए जरूरी कर्मचारियों की कमी ने विद्यालय के शैक्षणिक माहौल को पूरी तरह से प्रभावित किया है।
सुहेला स्कूल में शिक्षकों की भारी कमी है, जो सीधे तौर पर छात्रों की पढ़ाई पर असर डाल रही है। खासकर 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राएं इस समस्या का सामना कर रहे हैं। विद्यार्थियों का कहना है कि उन्हें कई महत्वपूर्ण विषयों जैसे कि केमिस्ट्री और अंग्रेजी में शिक्षक नहीं मिल पा रहे हैं।
यह समस्या पिछले दो वर्षों से बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. परिणामस्वरूप, छात्रों के शैक्षिक स्तर में गिरावट आई है, और वे भविष्य के बारे में चिंतित हैं।
इस स्कूल में विज्ञान और कला विषयों के लिए भी शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं। विद्यार्थियों ने इस स्थिति को गंभीर बताते हुए प्रशासन से तुरंत समाधान की मांग की है।
एक विद्यार्थी का कहना है कि अच्छी शिक्षा के लिए योग्य शिक्षक बेहद आवश्यक हैं, लेकिन हमारे स्कूल में शिक्षकों की संख्या बेहद कम है।
स्कूल में नहीं है पीने की पानी की व्यवस्था
विद्यार्थियों को अपने पानी की प्यास बुझाने के लिए स्कूल के बाहर जाकर चौक-चौराहों से पानी लाना पड़ता है। गर्मी के मौसम में ये समस्या और भी गंभीर हो जाती है, जब स्कूल का बोरवेल सूख जाता है और पानी की व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाती है।
गर्मी के दौरान उन्हें 2 से 3 किलोमीटर दूर तक पानी लाने के लिए जाना पड़ता है। ये ना केवल उनकी शारीरिक थकावट का कारण बनता है, बल्कि ये उनकी पढ़ाई को भी प्रभावित करता है। जब उन्हें पानी लाने के लिए इतनी दूर जाना पड़ता है, तो उनकी शिक्षा में ध्यान केंद्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता है।
स्वच्छता की गंभीर समस्या
विद्यालय में शौचालयों की स्थिति बहुत खराब है. छात्रों का कहना है कि पानी की कमी के कारण शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है. इसके कारण उन्हें स्कूल से 2-3 किलोमीटर दूर स्थित तालाब या बांध की ओर जाना पड़ता है। खासकर लड़कियों ने शौचालयों की साफ-सफाई की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है।
स्कूल में गंदगी और बदबू के कारण स्थिति खराब है, इसके अतिरिक्त, बेंच और टेबल की सफाई भी छात्रों को खुद करनी पड़ती है, क्योंकि स्कूल में सफाई के लिए कोई कर्मचारी नहीं है।
विद्यार्थियों का कहना है कि गंदगी और बदबू के कारण उन्हें सिरदर्द और तबीयत खराब होने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन सभी समस्याओं को लेकर प्रभारी प्राचार्य डीके कोसले ने भी अपना रुख सामने रखा है।
प्रभारी प्राचार्य डीके कोसले का कहना है कि पानी की कमी हर साल की समस्या बन गई है. इस बार दिसंबर से ही पानी की समस्या आरंभ हो गई थी, जबकि पहले यह समस्या मार्च तक रहती थी। पीएचई विभाग से कई बार आवेदन करने के बावजूद इस समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकला है। शिक्षकों की कमी भी एक पुरानी समस्या है, जो 2017 से लगातार बनी हुई है. खासकर केमिस्ट्री, अंग्रेजी और भूगोल जैसे विषयों में शिक्षक की भारी कमी है। प्राचार्य ने प्रशासन से जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान करने की अपील की है ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके।
इस बारे में जिला शिक्षाधिकारी हिमांशु भारती ने कहा कि शिक्षकों की कमी एक सामान्य समस्या है, और वे इसे लेकर संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं।
हिमांशु भारती, जिला शिक्षाधिकारी का कहना है कि शिक्षकों की कमी का अस्थायी समाधान कुछ वैकल्पिक व्यवस्था से किया जा रहा है, और जल्द ही नए शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी। पीएचई विभाग से भी इस समस्या का समाधान निकालने के लिए बातचीत की जा रही है, ताकि जल संकट का हल निकाला जा सके।
छात्रों की अपील
इस विद्यालय के छात्रों ने प्रशासन से अपील की है कि उनकी बुनियादी समस्याओं का समाधान तुरंत किया जाए। उनका कहना है कि यदि स्कूल में पानी की सुविधा, स्वच्छता, और पर्याप्त शिक्षकों का इंतजाम हो जाए तो उनकी पढ़ाई में काफी सुधार हो सकता है और वे अपने भविष्य को लेकर ज्यादा आश्वस्त महसूस करेंगे।