रायपुर, 5 फरवरी। आयकर विभाग ने एक बड़े कर धोखाधड़ी पकड़ा है। इसमें साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) के मनेंद्रगढ़, चिरमिरी और बैकुंठपुर डिवीजनों के लगभग 10,000 कर्मचारियों से जुड़े 95 करोड़ रुपये के फर्जी रिफंड रैकेट का पर्दाफाश हुआ है। जनवरी 2024 में आयकर अधिनियम की धारा 133ए(1) के तहत एक सर्वेक्षण अभियान के दौरान जांच विंग नेपकड़ा गया। जो अब यह घोटाले में बदल चुका है। आयकर विभाग अब कर वसूली और धोखाधड़ी से रिफंड प्राप्त करने में शामिल लोगों के खिलाफ संभावित अभियोजन पर काम कर रहा है।
आयकर आकलन विंग के उच्च पदस्थ सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर इसकीव पुष्टि की है। उनका कहना है कि फर्जी रिफंड दावों को कर व्यवसायियों के एक नेटवर्क द्वारा सुगम बनाया गया था, जिन्होंने फर्जी कटौतियों और छूटों का उपयोग करके कर फाइलिंग में हेराफेरी की थी। च्च्ये व्यवस्थित रूप से कर तैयार करने वाले कर्मचारियों के लिए कटौतियों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते थे? एक वरिष्ठ कर अधिकारी ने खुलासा किया,इसके चलते च्च्करदाताओं को अपनी सेवाओं के लिए कमीशन वसूलते हुए बढ़ा हुआ रिफंड मिलता रहा है। इसके कारण पिछले कई वर्षों में राजस्व में भारी कमी आई है।
इस धोखाधड़ी में वास्तविक आय को छिपाना, व्यावसायिक व्यय को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और कर देयता को कृत्रिम रूप से कम करने के लिए काल्पनिक कटौती करना शामिल था। सर्वेक्षण कार्यों के दौरान जब्त किए गए अपराध-सिद्ध दस्तावेजों और डिजिटल साक्ष्यों से एक संरचित प्रक्रिया का पता चला जिसमें बिचौलिए वित्तीय गलत एंट्री में व्यापक रूप से लिप्त रहे। एक आयकर अधिकारी ने कहा, च्च्फर्जी व्यय और दबी हुई आय का इस्तेमाल फर्जी रिफंड बनाने और सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए किया गया।ज्ज् जांच के दौरान, कर अधिकारियों ने तीन विशिष्ट कर व्यवसायियों की पहचान की, जिन्होंने फर्जी रिफंड दावों को अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई। ये व्यक्ति हजारों एसईसीएल कर्मचारियों की ओर से कर रिटर्न दाखिल करने के लिए जिम्मेदार थे, वे ही कर प्रणाली में खामियों का फायदा उठाते थे। जांच में शामिल एक अधिकारी ने खुलासा किया, च्च्इसमें शामिल कर व्यवसायियों की पहचान कर ली गई है और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की जा रही है। उनके संचालन ने फर्जी दावों (क्लेम)के जरिए कर रिफंड को हड़पने में मदद की।ज्ज् इस खुलासे के बाद, कर देनदारियों का पुनर्मूल्यांकन करने और अवैध रिफंड की वसूली की सुविधा के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 और 2021-22 के पिछले आंकलन को फिर से खोल दिया गया है। इसके अतिरिक्त, चालू वित्तीय वर्षों की गहन जांच शुरू हो गई है। एक अधिकारी ने कहा, च्च्यह तो केवल एक छोटा सा हिस्सा है; आने वाले हफ्तों में और भी मामले फिर से खोले जाएंगे, क्योंकि कर दाखिल करने में विसंगतियों को व्यवस्थित रूप से चिन्हित किया जा रहा है। फरवरी और मार्च में व्यापक कार्रवाई की योजना बनाई गई है।
बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के जवाब में, आयकर विभाग ने प्रभावित कर्मचारियों को नोटिस जारी किया है, जिसमें उनसे कानूनी कार्यवाही बढऩे से पहले स्वेच्छा से अपने रिटर्न को सुधारने और बकाया राशि का भुगतान करने का आग्रह किया गया है। आकलन विंग के एक आयकर अधिकारी ने खुलासा किया, च्च्जिन व्यक्तियों ने धोखाधड़ी से रिफंड का दावा किया है, उन्हें दंड और संभावित अभियोजन से बचने के लिए आकलन वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 के लिए अपनी आयकर फाइलिंग को अपडेट करने की सलाह दी जा रही है। इसके साथ ही, आयकर अधिकारियों ने रिफंड तंत्र के आगे दुरुपयोग को रोकने और प्रमुख सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं में कर अनुपालन को प्रोत्साहित करने के लिए एक व्यापक जागरूकता अभियान शुरू किया है। इस पहल को एनएमडीसी (किरंदुल और नगरनार), एसईसीएल (गेवरा, भटगांव, बैकुंठपुर और रायगढ़), भिलाई स्टील प्लांट और कई बैंकिंग संस्थानों में लागू किया गया है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, च्च्हम झूठे रिफंड दावों के कानूनी परिणामों के बारे में कर्मचारियों को जागरूक कर रहे हैं और नैतिक कर प्रथाओं के महत्व पर जोर दे रहे हैं।ज्ज् जैसे-जैसे जांच तेज होती जा रही है, आयकर विभाग एसईसीएल से आगे बढक़र अन्य सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की संस्थाओं तक अपनी जांच का विस्तार करने की तैयारी कर रहा है, जहां इसी तरह के धोखाधड़ी वाले रिफंड दावों की साजिश रची गई हो सकती है। यह कार्रवाई कई हफ्तों तक जारी रहने की उम्मीद है, अधिकारियों को भरोसा है कि आगे और वसूली की जाएगी।