‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 5 फरवरी। राज्य सरकार ने शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पांचवी और आठवीं पांचवी और आठवीं कक्षा की बोर्ड कक्षाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह परीक्षाएं 15 मार्च के बाद शुरू होने की संभावना है। जिसके लिए विकासखंड स्तर पर स्कूलों में तैयारी शुरू कर दी गई है।
जिला शिक्षा अधिकारी हिमांशु भारती के अनुसार 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा की तैयारी पहले से ही जारी है। प्री बोर्ड परीक्षाओं के बाद एक्स्ट्रा क्लास नहीं लगाई जा रही है। इसी तरह पांचवी और आठवीं बोर्ड परीक्षा के लिए भी स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं।
शासकीय स्कूलों के शिक्षक वर्तमान में चुनाव कार्य में व्यस्त हैं और चुनाव के बाद ही परीक्षा की तैयारी में जुट सकेंगे वहीं पांचवी आठवीं बोर्ड करने का निजी स्कूलों में अभी तक जिला स्तर पर कोई विरोध नहीं देखा गया है, लेकिन प्रदेश स्तर पर संगठन अगले सत्र से बोर्ड परीक्षा कराने की मांग कर रहे हैं।
बोर्ड परीक्षा के पोर्टल को समझने और छात्रों को तैयार करने के लिए ब्लॉक स्तर पर परीक्षाएं आयोजित की जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी ने ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिया है कि कोर्स पूरा करने के साथ-साथ छात्रों को टेस्ट के माध्यम से परीक्षा के लिए तैयार किया जाए।
पांचवी आठवीं कक्षा में लगभग 46 हजार बच्चे
बलौदाबाजार जिले में पांचवीं व आठवीं के 45 हजार 922 बच्चे हैं जो इस बार बोर्ड की तरह एग्जाम देंगे इससे पहले होम एग्जाम लिए जा रहा था शासकीय स्कूलों में पांचवी के 18 हजार 905 स्टूडेंट्स तो आठवीं में 19 हजार 82 छात्र छात्राएं हैं।
वहीं प्राइवेट स्कूलों में पांचवी के 4 हजार 100 हुआ आठवीं के 3 हजार 835 विद्यार्थी हैं जो इस बार बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगे।
ग्रेडिंग सिस्टम से शिक्षा की गुणवत्ता में हो रही गिरावट
शासकीय स्कूलों में ग्रेडिंग सिस्टम के कारण शिक्षा की गुणवत्ता में गिरावट देखी जा रही है थी जिसे सुधारने के लिए इस बार पांचवी और आठवीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। पहले शासकीय स्कूलों में छत्तीसगढ़ पाठ्यक्रम से पढ़ाई होती थी जबकि निजी स्कूलों में निजी प्रकाशकों की किताबों से पढ़ाया जाता था बोर्ड परीक्षा के फैसले के बाद अब निजी स्कूलों में भी छत्तीसगढ़ पाठ्यक्रम की पुस्तकों को अपनाया गया है जिससे छात्रों को बदलाव का सामना करना पड़ रहा है। राज्य सरकार के इस फैसले से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार की उम्मीद है लेकिन अचानक आए बदलाव के कारण निजी स्कूलों में कुछ कठिनाइयां भी देखी जा रही।