‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 31 जनवरी। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने आंगनबाडिय़ों में विशेष बच्चों को पोषण आहार नहीं दिए जाने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई की। गुरुवार को चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की खंडपीठ के समक्ष कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट पेश की, जिसमें कई गंभीर खामियों का खुलासा हुआ।
रिपोर्ट के अनुसार बालोद जिले के डोड़ी 01, डोड़ी 02 और गुण्डरदेही की आंगनबाडिय़ों में बच्चों को पोषण आहार नहीं मिल रहा है। डोंड़ी 01 में बिजली की सुविधा तक उपलब्ध नहीं है। हैरानी की बात यह है कि बिजली न होने के बावजूद वहां बिजली का बिल आ रहा है। इस पर अदालत ने कड़ी नाराजगी जाहिर की।
कोर्ट कमिश्नर ने यह भी बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत 25 जनवरी 2023 को पोषण आहार की मात्रा संशोधित और बढ़ाई गई थी, लेकिन उसका पालन नहीं किया गया। इस पर अदालत ने महिला एवं बाल विकास विभाग के संचालक को निर्देशित किया कि वह आंगनबाडिय़ों में पोषण आहार की स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
कोर्ट कमिश्नर अमियकांत तिवारी ने रिपोर्ट में बताया कि बच्चों को दिए जाने वाले दाल मिक्स की खरीदी 50 रुपए प्रति किलो की दर से हो रही है, जो बाजार दर से काफी कम लगती है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा।
राज्य सरकार के उप महाधिवक्ता शशांक ठाकुर ने अदालत को जानकारी दी कि पोषण आहार के लिए केंद्र सरकार को 22 जून 2023 और 5 नवंबर 2024 को पत्र भेजा गया था।
सुनवाई के दौरान भिलाई चरोदा क्षेत्र में रेलवे की जमीन पर बने आंगनबाड़ी केंद्रों को लेकर भी मामला उठा। रेलवे के अधिवक्ता रमाकांत मिश्रा ने दलील दी कि रेलवे इंजीनियरिंग कोड के अनुसार रेलवे क्षेत्र में स्थित भूमि पर आंगनबाड़ी केंद्र बनाने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र देने का कोई प्रावधान नहीं है। मामले की अगली सुनवाई 5 मार्च 2025 को निर्धारित की गई है।