कर्मियों के हाथ में लाठी तक नहीं थी, तीसरे दिन भी नहीं पकड़ पाए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 19 जनवरी। साजा वनपरिक्षेत्र में बाघ की धमक के बाद शनिवार को तीसरे दिन भी वन विभाग की टीम ने अनुमान व लोक चर्चा के अनुसार अलग-अलग स्थानों पर पहुंचकर बाघ को पकडऩे के पूर्व दर्शन करने के लिए कड़ी मेहनत की, पर बाघ विभाग के स्टाफ की बजाय दीगर लोगों को दिखने के बाद गायब हो गया। देवकर के करीब लालपुर व सहसपुर क्षेत्र में घेराबंदी की गई थी।
शुक्रवार की रात साजा नगर में बाघ की आमद की कथित खबर के बाद जंगली जानवर की आवाज सुनकर लोगों ने दहशत में रात गुजारी। वहीं शनिवार की सुबह देवकर के पास ग्राम सहसुपर व आसपास के लोगों की जानकारी के मुताबिक इस बार देवकर तहसील इलाके के सरहदी गांव सहसपुर में महिलाओं द्वारा जंगली जानवर को देखने की खबर लगते ही वन अमला सहित प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची। शाम तक वन विभाग की टीम पसीना गिराती रही, पर बाघ नहीं दिखा। शनिवार को दुर्ग मंडलाधिकारी सीएस शंकर सिंह परदेशी व बेमेतरा उप वनमंडलाधिकारी वीएन दुबे आदि बाघ को खोजने में पूरा दिन बीता दिया।
पीओपी से निशान लिया, पर आज तक नहीं आई रिपोर्ट
प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) के सहारे सुरक्षित कर जांच के लिए नमूना लिया गया। फॉरेस्ट एक्सपर्ट ने फु्रटप्रिंट के आधार पर वन्यजीव को बाघ मानकर जांच कर दी गई। लेकिन तीन दिन गुजर जाने के बाद भी बाघ का स्पष्ट पता नहीं चल पाया है, जिसमें कहीं न कहीं वन विभाग की सक्रियता एवं कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। सर्च के दौरान ड्रोन कैमरा व अन्य उपकरण का सहारा लिया गया।
साहब बाघ पकडऩे आए हो और हाथ में लाठी भी नहीं है
वन विभाग की टीम शनिवार को जिस तरह से बचाव सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किए बगैर खेतों में उतरी थी। उनकी लापरवाही लापरवाही चर्चा का विषय बनी रही। तीन दिन तक किसी प्रकार की जाली, रस्सी व अन्य उपकरण के बगैर विभाग के कर्मचारी-अधिकारी जेब में हाथ डालकर खाली हाथ तलाश में जुटे। उसे बड़ी लपरवाही मानी जा रही है।
शनिवार को साजा रेंज ऑफिसर पीआर लसेल, धमधा रेंज ऑफिसर-लक्ष्मीन आदित्या, सहसपुर लोहारा रेंजर अनुराग वर्मा, गंडई रेंजर सलीम कुरैशी आदि मौजूद रहे।
शनिवार को बाघ का ठिकाना सहसपुर के खदान के समीप मिला पर देर शाम तक तलाशी के बावजूद हाथ खाली रहे।