6 संयंत्रों से प्रतिदिन लगभग 70 टन कंप्रेस्ड बायोगैस का होगा उत्पादन
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जनवरी। नगरीय ठोस अपशिष्ट से कंप्रेस्ड बायोगैस उत्पादन के लिए छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण, गेल इंडिया लिमिटेड, भारत पेट्रोलियम और प्रदेश के 6 नगर निगमों के बीच त्रिपक्षीय एमओयू हुआ। मुख्यमंत्री विष्णु साय ने सभी संस्थाओं को इस विशेष एमओयू के लिए शुभकामनाएं दी और कहा कि यह कदम स्वच्छता, ऊर्जा उत्पादन और सतत विकास के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान दिलाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ में सतत योजना के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट से कम्प्रेस्ड बायोगैस उत्पादन की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे है।
इन संयंत्रो की स्थापना से शहरों को स्वच्छ-सुंदर बनाने का हमारा संकल्प पूरा होगा। जैव ईंधन के रूप में बायोगैस के उत्पादन से ऊर्जा की आवश्यकता भी पूरी होगी और वेस्ट टू एनर्जी की परिकल्पना भी साकार होगी। उन्होंने सभी से संयंत्र की स्थापना के कार्य को समयबद्ध रूप से पूर्ण करने का करने को कहा।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता और वेस्ट-टू-वेल्थ की दिशा में बड़े निर्णय लिए गए हैं। हमारा लक्ष्य है कि नगर स्वच्छ, सुंदर और सुविधापूर्ण बने और भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थाओं के साथ एमओयू से यह कार्य गुणवत्ता के साथ पूर्ण होगा।
एमओयू के दौरान मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव सुबोध सिंह, सचिव पी. दयानंद, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग के सचिव डॉ. बसवराजु एस., गेल इंडिया, बीपीसीएल, छत्तीसगढ़ बायोफ्यूल विकास प्राधिकरण और छह नगरीय निकायों के अधिकारी मौजूद रहे।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में सतत् योजना के अंतर्गत नगरीय ठोस अपशिष्ट से जैव ईंधन जैसे कि कम्प्रेस्ड बायोगैस (ष्टक्चत्र) उत्पादन की अपार संभावनाएं हैं। इनमें नगर निगम अंबिकापुर, रायगढ़, कोरबा और सीबीडीए एवं गेल इंडिया लिमिटेड के बीच तथा नगर पालिक निगम बिलासपुर, धमतरी, राजनांदगांव और सीबीडीए एवं भारत पेट्रोलियम कार्पोरेशन लिमिटेड के बीच समझौता हुआ।
परियोजना की प्रमुख विशेषताएं
इस एमओयू के माध्यम से छह नगर निगमों के लगभग 350 टन प्रतिदिन नगरीय ठोस अपशिष्ट एवं लगभग 500 टन अधिशेष बायोमास का उपयोग जैव ईंधन उत्पादन के लिये किया जावेगा। इन छह संयंत्रों से प्रतिदिन लगभग 70 टन कंप्रेस्ड बायोगैस का उत्पादन होगा। इन परियोजनाओं में लगभग 600 करोड़ रुपए का निवेश पूर्ण रूप से गेल और बीपीसीएल द्वारा किया जाएगा। इसी प्रकार संयंत्रों से होने वाले उत्पादन और बिक्री से राज्य को प्रतिवर्ष लगभग छह करोड़ रुपए का जीएसटी प्राप्त होगा।
स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, जैविक खेती और नेट जीरो एमिशन की दिशा में अग्रसर होगा प्रदेश
एमओयू के फलस्वरूप संयंत्रों की स्थापना से उत्पन्न सह-उत्पाद से जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। कचरे के प्रभावी निपटान से ग्रीनहाउस गैस के उत्सर्जन में कमी आएगी और छत्तीसगढ़ नेट जीरो एमिशन प्राप्ति की दिशा में अग्रसर होगा।