रायपुर

सीएम के नाम कर्मचारियों का ज्ञापन
17-Jan-2025 8:48 PM
सीएम के नाम कर्मचारियों का ज्ञापन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

रायपुर, 17 जनवरी।  छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के आह्वान  पर शुक्रवार को प्रांतव्यापी प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। संघ के प्रदेश अध्यक्ष जी.आर. चंद्रा, प्रदेश महामंत्री उमेश मुदलियार, जिला अध्यक्ष रामचंद्र टांडी और कार्यकारिणी जिला अध्यक्ष पीतांबर पटेल ने बताया कि इस प्रदर्शन का उद्देश्य कर्मचारियों की लंबित मांगों को सरकार के समक्ष रखना है। संघ के नेता नरेश वाढेर, संजय शर्मा, होरीलाल छैदेईया समेत सैकड़ों कर्मचारी मौजूद थे।

पेंशनर्स खुश हैं आठवें वेतन आयोग के गठन से

भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं छत्तीसगढ़ प्रदेश के अध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने केन्द्र सरकार के द्वारा आठवें वेतन आयोग के गठन का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया है। जारी विज्ञप्ति में कार्यकारी प्रांताध्यक्ष जे पी मिश्रा,द्रोपदी यादव,पूरन सिंह पटेल, अनिल गोल्हानी, बी एस दसमेर,बी के वर्मा, आर एन टाटी, राकेश जैन, आई सी श्रीवास्तव, कसीमुद्दीन, दिनेश उपाध्याय, ओ पी भट्ट, एस के घातोडे, आर डी झाड़ी, एस के कनौजिया , पी एन उडक़ुड़े, एस के देहारी, डॉ पी आर धृतलहरे, लोचन पांडेय,एस के चिलमवार, ए के कनेरिया,अनिल पाठक,नैन सिंह,अयूब खान ने भी प्रसन्नता जताई है।

आयोग की रिपोर्ट निर्धारित तिथि से लागू हो-वर्मा

छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन ने प्रधानमंत्री  नरेंद्र मोदी को 8वें  वेतन आयोग की मंजूरी पर धन्यवाद प्रेषित करते हुए आभार व्यक्त किया है।  प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने कहा कि  आज केंद्र के निर्णय से प्रदेश भर के कर्मचारियों में खुशी की लहर है।उन्होंने केंद्र व सरकार से समय सीमा निर्धारित करते हुए आयोग की रिपोर्ट को निर्धारित तिथि 2026 से लागू कराने की मांग भी रखी है।

ना-ना करते केंद्र सरकार ने हां किया

आप पार्टी के कर्मचारी विंग के संयोजक ,पूर्व प्रांताध्यक्ष विजय कुमार झा ने बताया है कि अंततोगत्वा आठवें वेतन आयोग को ना,ना करते केंद्र सरकार ने हां कर दिया है। आठवां वेतनमान नियमानुसार 1 जनवरी 2026 से लागू होना है। केंद्र सरकार के टालमटोल नीति के कारण आठवें वेतन आयोग की घोषणा ही नहीं हुई थी। अब मात्र 11 महीना शेष है। ऐसी स्थिति में तत्काल आयोग के अध्यक्ष व उसकी समस्त व्यवस्था केंद्र सरकार को तत्काल करनी चाहिए। क्योंकि आयोग के प्रतिवेदन प्रस्तुत होने के बाद भी उसे लागू करने में भी चार-छै माह लगेगा। ऐसी स्थिति में कम समय ही शेष बाकी है।

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