‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 17 जनवरी। राजीव भवन में पत्रकारों से चर्चा करते हुये प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि अभी चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है, सरकार आरक्षण को रद्द कर फिर से आरक्षण कराये। ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल करे, इसके लिये अध्यादेश लाना पड़े तो लाया जाये। विधानसभा की विशेष सत्र बुलाना पड़े, बुलाया जाये लेकिन ओबीसी वर्ग के आरक्षण को बहाल किया जाये।
भाजपा सरकार के द्वारा कराये गये वर्तमान आरक्षण प्रक्रिया के चलते प्रदेश में ओबीसी वर्ग का नुकसान हुआ है। जिला पंचायत अध्यक्ष का एक भी सीट ओबीसी के लिये आरक्षित नहीं है। प्रदेश के सभी जिला पंचायत एवं जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटें अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिये आरक्षित हुआ करती थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है। पूर्व में ओबीसी के लिये आरक्षित ये सभी सीटें अब अन्य वर्ग के लिये आरक्षित हो चुकी है।
बैज ने आरोप लगाया साय सरकार के द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में किए गए दुर्भावनापूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित था, अन्य वर्ग के लिये आरक्षित हो गया है।
पहले ओबीसी को धोखा दिया, अब सामान्य वर्ग को ठगने जा रहे। जब पूरे प्रदेश में सरकार के खिलाफ विरोध हो रहा तब कह रहे कि अनारक्षित वर्ग की आधा सीटों में पिछड़ा वर्ग को लड़ायेंगे।
हार के डर से घबराई भाजपा ईवीएम की शरण में: बेज ने कहा हार के डर से घबराई भाजपा ईवीएम की शरण में पहुंच गयी है। नगरीय निकाय ईवीएम से कराने की अधिसूचना जारी की गयी है। भाजपा को पता है कि बिना ईवीएम के वह कोई चुनाव नहीं जीत सकती है। पहले स्थानीय निकायों के चुनाव बैलेट पेपर से कराने की घोषणा उसके बाद यू-टर्न लेकर नगरीय निकायों के चुनाव ईवीएम से कराने का निर्णय बताता है कि भाजपा चुनाव से घबरा रही है। ईवीएम से चुनाव कराने का फैसला भाजपा के चुनावी डर के कारण आया है।
सरकार स्पष्ट करे ईवीएम से चुनाव कराने पर किन मशीनों का उपयोग होगा? मशीनों में वीवी पैड लगाया जायेगा की नहीं? सरकार के पास कितने वीवी पैड यूनिट है?
सरकार परीक्षा और स्थानीय निकाय चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करें: बैज ने सरकार परीक्षा और निकाय चुनाव पर स्थिति स्पष्ट करें। अभी तक स्थानीय निकायों के चुनाव कार्यक्रम घोषित नहीं हुये है। जबकि स्कूलों के बोर्ड परीक्षाओं तथा अन्य परीक्षाओं की समय सारणी घोषित हो चुकी है।
चुनाव में उन्हीं स्कूलों का उपयोग होगा जहां परीक्षायें हो रही होगी। चुनाव ड्यूटी में भी शिक्षक लगाये जायेगें। ऐसे में कैसे दोनों का सामंजस्य बैठेगा?
यह स्थिति भाजपा के डर के कारण आया है। सरकार चाहती तो अभी तक चुनाव संपन्न हो चुके होते और परीक्षाओं तथा चुनाव के बीच टकराहट नहीं होती। अब इस चुनाव के कारण लाखों बच्चों की परीक्षाएं बाधित होगी।
सरकार चुनाव और परीक्षाओं को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करें। यह प्रदेश के लाखों बच्चों के भविष्य का सवाल है।